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[उपादान-निमित्तकी चिट्ठी
इसलिये मिथ्यात्व-अवस्था में केवल बंध कहा; अल्पकी अपेक्षा। जैसे किसी पुरुष को नफा थोड़ा टोटा बहुत, उस पुरुष को टोटावाला ही कहा जाय। परन्तु बन्ध-निर्जरा के बिना जीव किसी अवस्थामें नहीं है। दृष्टांत यह कि – विशुद्धता से निर्जरा न होती तो एकेन्द्रिय जीव निगोद अवस्था से व्यवहारराशिमें किसके बल आता, वहाँ तो ज्ञानगुण अजानरूप गहलरूप है - अबद्धरूप है, इसलिये ज्ञानगुणका तो बल नहीं है। विशुद्धरूप चारित्रके बल से जीव व्यवहार राशि में चढ़ता है, जीवद्रव्यमें कषाय की मन्दता होती है। उससे निर्जरा होती है। उसी मन्दता के प्रमाणमें शुद्धता जानना।
अब और भी विस्तार सुनो :
जानपना ज्ञान का और विशुद्धता चारित्रकी दोनों मोक्षमार्गानुसारी हैं, इसलिये दोनोंमें विशुद्धता मानना; परन्तु विशेष इतना कि गर्भितशुद्धता प्रगट शुद्धता नहीं है। इन दोनों गुणों कि गर्भित शुद्धता जब तक ग्रन्थिभेद न हो तब तक मोक्षमार्ग नहीं साधती; परन्तु उर्ध्वता को करे, अवश्य करे ही। इस दोनों गुणों कि गर्भितशुद्धता जब ग्रन्थिभेद होता है तब इस दोनोंकि शिखा फूटती है, तब दोनों गुण धाराप्रवाहरूप से मोक्षमार्गको चलते हैं; ज्ञानगुण की शुद्धता से ज्ञानगुण निर्मल होता है, चारित्रगुण की शुद्धता से चारित्र गुण निर्मल होता है। वह केवलज्ञान का अंकुर, वह यथाख्यातचारित्रका अंकुर।
यहाँ कोई प्रश्न करता है कि तुमने कहा कि ज्ञान का जानपना और चारित्र की विशुद्धता – दोनोंसे निर्जरा है; वहाँ ज्ञान का जानपना से निर्जरा, यह हमने माना; चारित्र की विशुद्धता से निर्जरा कैसे ? यह हम नहीं समझे।
उसका समाधान :- सुन भैया! विशुद्धता स्थिरतारूप परिणाम से कहते हैं; वह स्थिरता यथाख्यात का अंश है; इसलिये विशुद्धता में शुद्धता आयी।
वह प्रश्नकार बोला – तुमने विशुद्धता से निर्जरा कही। हम कहते हैं कि विशुद्धता से निर्जरा नहीं है, शुभबन्ध है।
उसका समाधान :- सुन भैया! यह तो तू सच्चा; विशुद्धतासे शुभबन्ध, संक्लेशतासे अशुभबन्ध, यह तो हमने भी माना, परन्तु और भेद इसमें हैं सो सुन -अशुभपद्धति अधोगति का परिणमन है, शुभपद्धति उर्ध्वगतिका का परिणमन है; इसलिये अधोरूप संसार और उर्ध्वरूप मोक्षस्थान पकड़ ( स्वीकार कर), शुद्धता उसमें आयी मान, मान, इसमें धोखा नहीं है; विशुद्धता सदाकाल मोक्षका मार्ग है, परन्तु ग्रन्थिभेद बिना शुद्धता का जोर नहीं चलता है न ?
जैसे – कोई पुरुष नदी में डुबकी मारे, फिर जब उछले तब दैवयोग से उस पुरुष के ऊपर नौका आ जाये तो यद्यपि वह तैराक पुरुष है तथापि किस भाँति निकले ? उसका
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