SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૫૬ [ 1 ] तत्त्वार्थ राजवार्तिक चैतन्यशकते र्द्वावाकाशै ज्ञानाकाश ज्ञेयाकारश्च । अनुपयुक्त प्रतिबिम्बाकाश दर्शतलवत् ज्ञानाकारः। प्रतिबिम्बाकार परिणता दर्शतल वत् ज्ञेयाकार । अर्थ- चैतन्य शक्ति के दो आकार है, ज्ञानाकार और ज्ञेयाकार । तदा प्रतिबिम्ब शून्य दर्पणतलवत् तो ज्ञानाकार है और प्रतिबिम्ब सहित दर्पणतलवत् ज्ञेयाकार है। [ अध्याचय स. १, सूत्र स. धु, पृष्ठ- ५ ] श्री शिवकोटी आचार्य विरचित [ ♠ ] ताका उत्तर आचार्य - अकंलकदेव विरचित - मूलाराधना अपरनाम भगवती आराधना મંગલ જ્ઞાન દર્પણ ભાગ-૧ - टीकाकार पं. सदासुखजी कासलीवाल सम्यकत्व विना ज्ञान है, सो अज्ञान है। अर्थ- बहुरि शुद्धनयके धारक जे भगवान् गणधर देव ते मिथ्यादृष्टि का ज्ञान कूं अज्ञान कहते हैं । तातैं मिथ्यादृष्टि ज्ञान का आराधक नहीं है ऐसा जानना। इहां कोई कहै - मिथ्यादृष्टि का ज्ञान सूक्ष्मतत्त्व के जानने में मिथ्या कहो सो तौ ठीक, परंतु घट, पट, स्तंभ, पृथ्वी, पर्वत, जल, अग्नि इत्यादिकानैं तौं मिथ्या नहीं जानें है । घट कूं घट ही कहे है, पट कूं पट ही कहे है, पृथ्वी कूं पृथ्वी ही कहे है, सो इत्यादि ज्ञान तो सम्यक् है । जो मिथ्याद्रष्टि घटपटादिकनिकूं घटपटादिकही जाने है, तो भी इनका ज्ञान मिथ्या ही है। इहां कारण कहा है, जो घटपटादि का नैं जन्मतैं इन्द्रिय द्वारकरि योका नाम वा स्वरुप वा क्रिया श्रवण करता आया है वा देखता आया है, सो नामादिक और तरह कैसैं कहे ? परंतु घट पट स्तंभ पृथ्वी पर्वत अग्नि स्त्री पुरुष रत्न सुवर्ण इत्यादि सर्व वस्तुनिविषै कारण विपरीती स्वरुप विपरीती, भेदाभेद विपरीती ये तीन तों बणि ही रहे हैं । [ मूलाराधना-भगवती आराधना, पृष्ठ-३ ] परने भएो ते खात्मा ? ना. परने झेएा भएरो आत्मा ? ना, खेम झ्यां ऽधुं छे ! ! अमे તો કહીએ છીએ કે—જે આત્મા છે તે શ્રદ્ધા, જ્ઞાન, ચારિત્રને પ્રાપ્ત થાય તેટલો વ્યવહા૨ ક૨ે છે. (તા. ૪/૧૦/૬૮ ના શ્રી સમયસારના પ્રવચનમાંથી)
SR No.008263
Book TitleMangal gyan darpan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhnaben J Shah
PublisherDigambar Jain Kundamrut Kahan
Publication Year2005
Total Pages469
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Education, & Religion
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy