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નાટક સમયસારના પદ
આત્માનુભવથી કર્મબંધ થતો નથી. (ચોપાઈ) इहि विधि वस्तु व्यवस्था जानै।
रागादिक निजरूप न मानै।। ताते ग्यानवंत जगमांही।
करम बंधकौ करता नाही।।५६ ।।
ભેદજ્ઞાનીની ક્રિયા (સવૈયા એકત્રીસા) ग्यानि भेदग्यानसौं विलेछि पुदगल कर्म,
आतमीक धर्मसौं निरालो करि मानतौ। ताको मूल कारन असुद्ध रागभाव ताके,
नासिबेकौं सुद्ध अनुभौ अभ्यास ठानतौ।। याही अनुक्रम पररूप सनबंध त्यागि,
आपमांहि अपनौ सुभाव गहि आनतौ। साधि सिवचाल निरबंध होत तिहूं काल,
केवल विलोक पाइ लोकालोक जानतौ ।।५७ ।।
ભેદજ્ઞાનીનું પરાક્રમ (સવૈયા એકત્રીસા) जैसे कोऊ मनुष्य अजान महाबलवान,
खोदि मूल वृच्छकौ उखारै गहि बाहूसौं। तैसैं मतिमान देवकर्म भावकर्म त्यागि,
है रहै अतीत मति ग्यानकी दशाहूसौं।। याही क्रिया अनुसार मिटै मोह अंधकार,
जगै जोति केवल प्रधान सविताहूसौं । चुकै न सकतीसौं लुकै न पुदगल मांहि,
धुकै मोख थलको रुके न फिर काहूसौं । ।५८ ।।