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( १९. जीव और कर्म )
कर्म अजीव हैं। कर्म में ज्ञान नहीं है। जीव में ज्ञान है। जीव और कर्म अलग हैं । जीव में कर्म नहीं हैं । कर्म में जीव नहीं हैं ।
जीव अज्ञान से हैरान होता है । कर्म जीव को हैरान नहीं करते । जीव अपनी भूलसे दुःखी होता है । कर्म जीव को दुःखी नहीं करते ।
जीव की पहचान करना चाहिये । कर्म का दोष नहीं निकालना चाहिये । जीव को पहचानना धर्म है । कर्म का दोष निकालना अधर्म है ।।
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Thulluuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuunil
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