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इन्द्रियज्ञान... ज्ञान नहीं है
मुमुक्षुओं ने भी पू. भाई श्री के समक्ष इस पुस्तक को हिन्दी में भी छपाने का संकल्प किया।
इस हिन्दी अनुवाद एवं सम्पादन के कार्य को भी हिन्दी मुमुक्षु समाज पर करुणा करके पू. बहन श्री संध्या बहन जी ने अपने हाथ में ले लिया और मात्र १५ दिन में ही गुजराती के द्वितीय प्रकाशन में से समस्त नये आधारों सहित अनुवाद एवं सम्पादन करके शीघ्रातिशीघ्र इस पुस्तक की रूपरेखा तैयार कर दी। शारीरिक स्वास्थ्य कमजोर होने पर भी आपने इतनी मेहनत और परिश्रम उठाकर इस हिन्दी अनुवाद को शीघ्र ही समाज के हाथ में दिया है - इस महान उपकार के लिए मुमुक्षु समाज पू. बहन श्री संध्या बहन का सदा आभारी रहेगा। और आपका खूब-खूब उपकार मानता रहेगा।
इस हिन्दी अनुवाद में कु. श्री नीलम बहन ने भी भरपूर-पूरेपूरा योगदान दिया है। हम उनके भी खूब आभारी हैं।
श्री दिगम्बर जैन मुमुक्षु मण्डल, हिम्मतनगर ने जो इस गुजराती पुस्तक का हिन्दी अनुवाद छपाने की स्वीकृति प्रदान की तथा अपना प्रेस मैटिरीयल का सहयोग दिया, मण्डल उनका आभार मानता है।
इस पुस्तक प्रकाशन हेतु जिन मुमुक्षुओं ने धनराशि प्रदान की है मण्डल उनका हार्दिक आभार मानता है।
इस ग्रंथ प्रकाशन हेतु श्री नवीन जैन, पारस प्रिंटर्स एवं पब्लिशर्स, नौएडा ने जो योगदान दिया उसके लिये मण्डल उनका आभार मानता है।
आज इस ‘इन्द्रियज्ञान.... ज्ञान नहीं है' मांगलिक अपूर्व प्रकाशन को पू. भाई श्री के हस्तकमल में अर्पण करते हुए हम अपने को धन्य
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