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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates ज्ञानानन्द स्वभावी अपनी आत्मा में लगाया। आत्मज्ञानी तो वे पहिले से थे ही, आत्म-स्थिरता रूप चारित्र की श्रेणियों में बढते हुए दीक्षा के ५६ दिन बाद आत्म-साधना की चरम परिणति क्षपक श्रेणी आरोहण कर केवलज्ञान ( पूर्ण ज्ञान) प्राप्त किया। तदन्तर करीब सात सौ वर्ष तक लगातार समवशरण सहित सारे भारतवर्ष में उनका विहार होता रहा तथा उनकी दिव्य ध्वनि द्वारा तत्त्व-प्रचार होता रहा। ___ अन्त में गिरनार पर्वत से ही एक हजार वर्ष की आयु पूरी कर मुक्ति प्राप्त की। बहिन – तो गिरनारजी “ सिद्धक्षेत्र” इसीलिए कहलाता होगा? भाई – हाँ, गिरनार पर्वत नेमिनाथ की निर्वाण-भूमि ही नहीं, तपो-भूमि भी है। राजुल ने भी वहीं तपस्या की थी तथा श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न कुमार और शम्बु कुमार भी वहीं से मोक्ष गये थे। जैन समाज में शिखरजी के पश्चात् गिरनार सिद्धक्षेत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रश्न - १. भगवान नेमिनाथ का संक्षिप्त परिचय दीजिये। २. भगवान नेमिनाथ की तपो-भूमि और निर्वाण-भूमि का परिचय दीजिये। ३० Please inform us of any errors on [email protected]
SR No.008224
Book TitleBalbodh Pathmala 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1995
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Education, & Religion
File Size573 KB
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