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________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates जिनेश – सुनो! मन्दिर के दरवाजे पर पानी रखा रहता है। हमें चाहिये कि सबसे पहिले चप्पल जूते खोलकर पानी से हाथ-पैर धोकर फिर भगवान की जयजयकार करते हुए तथा तीन बार निःसहि निःसहि निःसहि बोलते हुए मन्दिर में प्रवेश करें। दिनेश - निःसहि का क्या अर्थ होता है ? जिनेश – निःसहि का अर्थ है सर्व सांसारिक कार्यों का निषेध। तात्पर्य यह है कि सब संसार के कार्यों की उलझन छोड़ कर मन्दिर में प्रवेश करें। दिनेश – उसके बाद? जिनेश – उसके बाद भगवान की वेदी के सामने ' जय जय जय नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु णमो अरहताणं आदि णमोकार मंत्र एवं चत्तारि मंगलं आदि मंगलपाठ बोलते हुए जिनेन्द्र भगवान को अष्टांग नमस्कार करें। इसके बाद चित्त को एकाग्र करके भगवान की स्तुति पढ़ते हुए तीन प्रदक्षिणा देनी चाहिए। उसके बाद फिर भगवान को १२ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008220
Book TitleBalbodh Pathmala 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2002
Total Pages27
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Education, & Religion
File Size1 MB
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