________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates शशि-शीतल मुद्रा अति मंगल , निर्मल नैन सुमंगल हैं, आसन-गमनादिक कुछ भी हो, शांत सुधीर सुमंगल है; प्रवचन मंगल, भक्ति सुमंगल , ध्यानदशा अति मंगल है, ... मंगलकारी. दिनदिन वृद्धिमती निज परिणति वचनातीत सुमंगल है, मंगलमूरति-मंगलपदमें मंगल-अर्थ सुवंदन है; आशिष मंगल याचत बालक, मंगल अनुग्रहदृष्टि रहे, तव गुणको आदर्श बनाकर हम सब मंगलमाल लहें। .... मंगलकारी Please inform us of any errors on rajesh@atmadharma.com