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विषय उत्तरोत्तर दुर्लभता से किनकी प्राप्ति होती है जब तक विषयों में प्रवृत्ति है तब तक आत्मज्ञान नहीं कैसा हुआ संसार में भ्रमण करता है चतुर्गति का नाश कौन करते हैं ? अज्ञानी विषयक विशेष कथन वास्तविक मोक्ष प्राप्ति कौन करते हैं ? कैसा राग संसार का कारण है समभाव से चारित्र ध्यान योगके समयके निषेधक कैसे हैं पंचमकाल मेह धर्म ध्यान नहीं मानते हैं वे अज्ञानी हैं इस समय भी रत्नत्रय शुद्धिपूर्वक आत्मध्यान इंद्रादि फलका दाता है मोक्षमार्ग में च्युत कौन ? मोक्षमार्गी मुनि कैसे होते हैं ? मोक्ष प्रापक भावना फिर मोक्षमार्गी कैसे? निश्चयात्मक ध्यान का लक्षण तथा फल पापरहित कैसा योगी होता है श्रावकोंका प्रधान कर्तव्य निश्चलसम्यक्त्व प्राप्ति तथा उसका ध्यान और ध्यानका फल जो सम्यक्त्वको मलिन नहीं करते वे कैसे कहे जाते हैं सम्यक्त्व का लक्षण सम्यक्त्व किसके है मिथ्यादृष्टि का लक्षण मिथ्या की मान्यता सम्यग्दृष्टि के नहीं तथा दोनोंका परस्पर विपरीत धर्म कैसा हुआ मिथ्यादृष्टि संसारमें भ्रमता है मिथ्यात्वी लिंगी की निर्थकता जिनलिंग का विरोधक कौन ? आत्मस्वभावसे विपरीत कार्य सभी व्यर्थ है ऐसा साधु मोक्ष की प्राप्ति करता है देहस्थ आत्मा कैसा जानने योग्य है पंच परमेष्ठी आत्मा में ही हैं अतः वही शरण हैं चारों आराधना आत्मा में ही हैं अतः वही शरण हैं मोक्ष पाहुड पढ़ने सुनने का फल टीकाकार कृत मोक्षपाहुड का साररूप कथन ग्रंथके अलावा टीकाकार कृत पंच नमस्कार मंत्र विषयक विशेष वर्णन
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