SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates २५३ २५४ २५४-२५६ २५६ २५७ २५८ WWWWW०० २६५ v २६६ विषय सम्यग्दर्शन सहित लिंग की प्रशंसा दर्शन रत्नके धारण करने का आदेश असाधारण धर्मों द्वारा जीवका विशेष वर्णन जिनभावना-परिणत जीव घातिकर्मका नाश करता है घातिकर्म का नाश अनंत चतुष्टय का कारण है कर्म रहित आत्मा ही परमात्मा है, उसके कुछ एक नाम देवसे उत्तम बोधि की प्रार्थना जो भक्ति भावसे अरहंतको नमस्कार करते हैं वे शीघ्र ही संसार बेलिका नाश करते हैं जलस्थित कमलपत्रके समान सम्यग्दृष्टि विषयकषायों से अलिप्त हैं। भावलिंगी विशिष्ट द्रव्यलिंगी मुनि कोरा द्रव्य लिंगी है और श्रावक से भी नीचा है धीर वीर कौन? धन्य कौन ? मुनि महिमा का वर्णन मुनि सामर्थ्य का वर्णन मूलोत्तर-गुण-सहित मुनि जिनमत आकाशमें तारागण सहित पूर्ण चंद्र समान है विशुद्ध भाव के धारक ही तीर्थंकर चक्री आदि के पद तथा सुख प्राप्त करते हैं विशुद्ध भाव धारक ही मोक्ष सुख को प्राप्त होते हैं। शुद्धभाव निमित्त आचार्य कृत सिद्ध परमेष्ठी की प्रार्थना चार पुरुषार्थ तथा अन्य व्यापार सर्व भाव में ही परिस्थिति हैं, ऐसा संक्षिप्त वर्णन भाव प्राभृत के पढ़ने सुनने मनन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसा उपदेश तथा पं. जयचंदजी कृत ग्रन्थ का देश भाषा में सार ६. मोक्षपाहुड मंगल निमित्त देव को नमस्कार देव नमस्कृति पूर्वक मोक्ष पाहुड लिखने की प्रतिज्ञा परमात्मा के ज्ञाता योगी को मोक्ष प्राप्ति आत्मा के तीन भेद आत्मत्रयका स्वरूप परमात्माका विशेष स्वरूप बहिरात्मा को छोड़कर परमात्मा को ध्याने का उपदेश बहिरात्मा का विशेष कथन मोक्ष की प्राप्ति किसके है बंधमोक्षके कारण का कथन कैसा हुआ मुनि कर्म का नाश करता है कैसा हुआ कर्म का बंध करता है सुगति और दुर्गति के कारण परद्रव्य का कथन स्वद्रव्यका कथन २६७ २६७-२७० २७१ २७२ २७२ २७३ २७४ २७४ २७५ २७६ २७८ २७९ २७९ २८० २८१ २८२ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com
SR No.008211
Book TitleAshtapahuda
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorMahendramuni
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, Religion, & Sermon
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy