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________________ 454 - लव . २८.२.५४ भा. मी भी, औ५। पत२ मा नन) १२ तय 40 आराम से सुधरे असा में ॥२।। करता है | 'वी14- वातसल्य ' मेरे पास आता तो है, लेकीन जीस क को अपने जीकर की 21 है वह अभी तक नहीं पहुंचा है। पहुँचने ५२ ५८ लू। सौ। ५८२ . के . 4. की ची। मुझीनी २२ करते हैं, औससे अधर के बारे में कमें * )२५ ची सासीरफ जमीन माले जीतना का नही है। जाहीका से माले, लो। समस बूझकर के दें , समाज में ५२२१५२ सौमनस्य दें 4६ मुमय बात है| और मुनी ३.२४ के मा०1८२२१ तव में वह बात सधे । भूदान-यन के काम का यह सदभाय है की असके लीये ६ जानीका पुरोहीत भाले । और हमारी कहीन परीक्षा हो रहा है। अससे मुझे तो न होती है। बीना त५ के ,और में कई बीना २१ वीक, ५ के 41वहीत की सीधी कैसे हो सक, १ को जैसे जैसे ही
SR No.008079
Book TitleSadhuta ni Pagdandi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManilal Patel
PublisherMahavir Sahitya Prakashan Mandir Ahmedabad
Publication Year1999
Total Pages246
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Religion
File Size13 MB
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