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________________ स्वोपज्ञभाष्ययुतं [गाथा सो ववहारविहिण्णू, अणुसज्जित्ता सुतोवदेसेणं । सीसस्स देइ आणं, तस्स इमं देह पच्छित्तं ॥६३८॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयणं णिसामित्ता । णक्खत्ते पीला भे, सुक्के पणगं तवं कुणह ॥६३९॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयणं णिसामित्ता। णक्खत्ते पीला भे, मुक्के दसमं तवं कुणह ॥६४०॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयणं णिसामेत्ता । णक्खत्ते पीला भे, सुके पक्वं तवं कुणह ॥६४१॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयणं णिसामित्ता। णक्खत्ते पीला भे, मुक्के वीसं तवं कुणह ॥६४२॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयणं णिसामित्ता। णक्खत्ते पीला भे, पणुवीसतवं कुणह सुक्के ॥६४३॥ एवं ता उवधाए, अणुघाए एत चेव गाहाओ । णवरं तू अभिलावो, किण्हे पणगादि वत्तव्यो ॥६४४॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयणं णिसामेत्ता । णक्खत्ते पीला थे, चाउम्मासं तवं कुणह सुक्के ॥६४५॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयणं णिसामेत्ता । णक्खत्ते पीला मे, चाउम्मासं कुणह किण्हे ॥६४६॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयण णिसामेत्ता । णक्खत्ते पीला भे, छम्मासतवं कुणह सुक्के ॥६४७॥ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविहमालोयणं णिसामेत्ता। णक्खत्ते पीला भे, छम्मासतवं कुणह किण्हे ॥६४८॥ छिदंतु वत भाणं, गच्छंतु तवस्स साहुणो मूलं । अव्वावारा गच्छे, अब्बितिया वा परिहरंतु ॥६४९।। ६३८ गाथेयं व्य० उ० १० गा० ६६१॥ ६४४ इतो गाथाषट्कं व्य० उ०१० गा० ६६३-६९ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008071
Book TitleAgam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Original Sutra AuthorJinbhadragani Kshamashraman
AuthorPunyavijay
PublisherBabalchand Keshavlal Modi
Publication Year1994
Total Pages243
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Ethics
File Size15 MB
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