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________________ सातभाषानिमित्य कवटी त विस्तापिनी रिहर किया तो निरुतयोसम रायका रिमाकान विटाका रुपा यस्त कितिविना विश्रुत सविस काइट पाए विधायी समा विविनामयतमानानाकर। मिति वितर्थतः पहावयास चरितवतीति नीतिश्याया यनिबंध कारणाचाडल मुगासो तस दि (साधव वहिनीव RESU सकल वि तारागा व्यादिसी अयः जिया र संसार घनादापायी ना डिकियाणा धारवीय दा aa पिवदितः सामशा नाम तयसका अतिवा कासव दिनाि खंड रवपिविण्यासा दानमा क निनियासिदिशिष्यत्वमसत्यकी ससा स 관리됩니다 सीताना विसाविवाह दयानन परानि ચિત્ર ૪ રાશી પરાયેલી તાડપત્રની પૈાથી Jain Education International नियमविदिको मनानानामदानद्या दिसीलकेन मयमा राधको न वीरवापिपासा गरा मनोज्ञान दीि विनियामा परहित यदि समय सिमादापाय पदयोगले ਰੋਗ ਵਿਚ सार मदिरासंगम संग निव माय महामानाधिकार कायादिकानियकारिण विहारिण्वनि तिन तिन् न चदा कारवाया धान राखनुपस्ति। सादिक मुनिः कलकलकर मादिकमान सदानव ह्रादयति। नरवाल या खादिका रुक सत्य रामसंयम वि कल गर पहि स्वतः दाविः नाका य द न संश कशुद विदर ति॥ali ६८० अर्थादिको निमदानिश नि प्रायमिना 12 वकिलान शतादिह सादिकार विक दानमा कार्यविन किन दारातिया भवतीत्। क का म हे R दिदिकामुनिय समकाि टीका रामानी अनितामा अनुम सात नायकायार्थ आदिकंददातिथ्य। वातायनासादिविश्रमाः विनियमाप्रः नाश्ता कसयामा यावश्यकशिशु रसदनादर्वसन । क्रमितंगीलमस्य तशील। नित्यमकरोसएरा मिएक संगम पार्थ श्राव अनयामा निधारमा मनिज्ञया वर्तमाना नियमा मा पार्थ धनीयाति॥कया। कावायल मनियापान दिवस (हिमाकान तामाक श्री रायगडे नरकात डावालक डी. नादिवालाननस्यचे मग पान यान रामनन निधीवाद्या वाचार ड समुनिर्भरकृति धानीका (वाद्या की सायन कविस निधिपतयड़ा दिवस निधितमोद को दिल्पनिधिरको नियति॥ सस्य मागणयनिः मेडा त्यो साधनाको साधुनि सहजनवा कामापाला जीर्यमा व्यावदा दित्य सिटीितावादी कुशल म विभाग विधीमुनि सीकेवार चारा दारशनादिकारवाह नि निकालिकान स्वानिकट विद ल गमनेन देवया कानाक किती प्रतिकाध चिलाइरा लायकत्या निकाय सार्यण नवविदिताना काशन कायनादिरिस्थित नावालिना। स्यान्यसानदा या नाशादिकोट रविवार सोम भारतिहारमादासाहरु सामानमाध्मानी प्राविशीगंगामाया न्यायालय विनास सिमरी रखन आम् गिरीकशित स्थान नदीवर नोटे पा निनाम विश्वकाया जिया (मईया तियानगामावय बेधःयनियःकसित नम कक यदिभिः मनिमितो निराश निर्मातारामेनिया यं स्यः सिनिर्माभाः। महिनामा योन।निर्य निकायल्यास निर है कोनाशनि रटकारा निरि मानात्सा कुलवानके द्वारा दासरितः गगनवादा मुशकिलिया। ग्रीत्वसकिंदाडीयड श्री कम विनासीदागन हि भरकट लटकरा रविवार दिना कार विश्व की दो सखियम करत स साधुनामीन साध तिहा श्रायादिली वनधना क 'श्रमहरपि' नग हंग नाय नव पायनियर बिबरणाम परमविकास दिनी क कानमा एमपिथ निसिया नवराज बावनाम सेचि मंचरकाला यं त) किवि कमी प 17 समान विवाजिनमनमाय मायाका जिला मनियर मिक प्रमिता पनि यदिशममितिनि किता कान न यसवरण। वर्ष काल किता जयमाल श्रीकृष वामान निनिराकरणमा नया रूपांत दीनाय माक साखर विलसित चिंता दीनद विलाय २५।। देव रिसा कानोकान यत्तिमा नातिर सकता ऊपका नाटयामाहारेगामाका रविव निनाद सीताखेता व्यविजुगा निवार्यमि अविरतिर कनिष स्वादिति साधुकि मनोरुपीयन प्रव उमावि निरुहाय ચિત્ર ૬ લેખકની પુસ્તક લખવાના મુખીને પિરણામે દેખાતી ચિત્રાકૃતિઓ For Private & Personal Use Only नित्यानद्यापि ररदि कादिस्त उसासा रुसवदन वि. ककोरा लिदो दशयनमंडल कन्डम रितन विददेव क नालराव माझा मानिस संहरनमा નિશ ચંદ્રકળાના સ્થાનિાદાળવડીયોનવ www.jainelibrary.org
SR No.008069
Book TitleJain Chitrakalpadrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarabhai Manilal Nawab
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1992
Total Pages158
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Art
File Size16 MB
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