SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४९ तेजोलेश्या साधन और निमित्तपठन ३४, वैशाली के बाहर शंख गणराज द्वारा बालकों का उपद्रव निवारण ३६, वाणिज्य के पास नाव द्वारा गंडकी पार करना और नाविक द्वारा रोका जाना ३६, आनन्द श्रमणोपासक द्वारा ज्ञान समय कथन ३६, दसवाँ वर्षावास श्रावस्ती में ३६ । ग्यारहवाँ वर्ष ३६, सानुलट्ठिय संनिवेश में भद्र महाभद्रादि प्रतिमा ३६, संगमक देव के उपसर्ग ३७, पोलास चैत्य में रात भर में २० उपसर्ग ३७, तोसलिगाँव में फाँसी लगाना ३८, संगमक का जाना और ग्वालिन वृद्धा के हाथ से षण्मासी तप का पारणा ३८-३९, श्रावस्ती में स्कन्द की मूर्ति द्वारा सत्कार ३९, ग्यारहवाँ वर्षावास वैशाली में ४१, पूरण श्रेष्ठ के घर चातुर्मासिक तप का पारणा ४० । बारहवाँ वर्ष ४०, चमरोत्पात ४०, कौशाम्बी में भिक्षाविषयक अभिग्रह और चन्दना के हाथ से उसकी पूर्ति ४१, बारहवाँ वर्षावास चम्पा में ४२, स्वातिदत्त के विविध प्रश्न २४-४४ । तेरहवाँ वर्ष ४४, जंभिय, मिंढिय होकर छम्माणि गये जहाँ गोप ने कानों में काष्ठशलाकायें ठोंकी ४४, काष्ठशलाकाओं का निकालना ४५, तप की संख्या ४५, जंभिय गाँव के बाहर ऋजुबालुका के तट पर केवल ४६ । Jain Education International तीसरा परिच्छेद ३. तीर्थंकर जीवन ४७-२१३ प्रथम समवसरण ऋजुवालुका के तट पर ४७, पावामध्यमा के महासेन उद्यान में दूसरा समवसरण ४७, इन्द्रभूति आदि ११ विद्वानों का परिचय ४८, पुनर्जन्म की सिद्धि और इन्द्रभूति गौतम की प्रव्रज्या ५०५३, कर्मात्मसंबंध-सिद्धि और अग्निभूति गौतम की प्रव्रज्या ५३-५८, शरीरातिरिक्त आत्मा की सिद्धि तथा वायुभूति की दीक्षा ५८-६२, द्वैतसिद्धि और आर्यव्यक्त की दीक्षा ६१-६२, भवान्तर में असदृशयोनिसिद्धि और आर्य सुधर्मा की दीक्षा ६३, बन्धमोक्षसिद्धि और For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy