________________
श्रमण भगवान् महावीर
यह गाँव संभवतः उड़ीसा के पश्चिमोत्तर प्रदेश में कहीं था ।
हस्तिशीर्ष नगर — इसके बाहर पुष्पकरण्डक उद्यान था, जहाँ कृतवनमालप्रिय यक्ष का मंदिर था । तत्कालीन राजा का नाम अदीनशत्रु और रानी का धारिणी देवी था । भगवान् महावीर ने इनके पुत्र सुबाहुकुमार को पहले श्राद्धधर्म और दूसरी बार श्रमणधर्म की दीक्षा दी थी ।
४०४
जैन कथानकों के वर्णनों से ज्ञात होता है कि हस्तिशीर्ष नगर उस देश की राजधानी थी, जिसकी सीमा कुरुदेश की सीमा से मिलती थी । इससे स्पष्ट है कि यह स्थान कुरु देश से अधिक दूर नहीं होगा ।
"
[ नोट — 'विहारस्थल - नाम - कोष' में लिखे हुए सभी नाम श्रमण भगवान् महावीर' में नहीं आये, फिर भी हमने इनका इसमें संग्रह किया । इसका कारण यही है कि जैनसूत्रों, चरित्रों और अन्यान्य ग्रन्थों में महावीर के विहारप्रसङ्गों में इनके उल्लेख दृष्टिगोचर हुआ करते हैं । हमारी इच्छा थी कि जहाँ-जहाँ भी महावीर विचरे हैं, उन सभी स्थानों का यथोपलब्ध परिचय दिया जाय जिससे अब नहीं तो भविष्य में भी इनका उपयोग हो सके । लेखक ]
Jain Education International
For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org