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पारिभाषिक शब्दकोश
से बाहर निकलकर फैल जाना । यह सात प्रकार का होता है ( ६४६ ) सम्यक्त्व - ३० सम्यग्दर्शन
सम्यक्चारित्र-व्रत-समिति आदि का पालन व्यवहार चारित्र है (२६३) और निजस्वरूप में स्थितिस्वरूप (२६८) मोह-क्षोभविहीन समता या प्रशान्त भाव निश्चय - चारित्र है ( २७४ ) सभ्य मिथ्यात्व दे० मिश्र
शास्त्रज्ञान
सम्यग्ज्ञान- सम्यग्दर्शन-युक्त व्यवहार-सभ्यग्ज्ञान (२०८, २४५) और रागादि की निवृत्ति में प्रेरक शुद्धात्मा का ज्ञान निश्चय - सम्यग्ज्ञान
(२५० - २५५)
सम्यग्दर्शन - सप्त-तत्त्व का श्रद्धान व्यवहार-सम्यग्दर्शन और आत्मरुचि निश्चय सम्यग्दर्शन (२२०-२२१) सयोगी- केवली - साधक की तेरहवी भूमि जहाँ पूर्णकाम हो जाने पर भी देह शेष रहने से प्रवृत्ति बनी रहती है । अर्हन्त या जीवन्मुक्त अवस्था (५६२-५६३) सराग चारित्र - व्रत समिति गुप्ति आदि का
धारण व पालन होने पर भी, राग भाव के कारण, जिस चारित्र में आहार तथा योग्य उपाधि के ग्रहणस्वरूप कुछ अपवाद स्वीकार कर लिया जाता है । निश्चय चारित्र का साधन । ( २८० ) सलेखना-सयम की सामर्थ्य न रहने पर, देह का युक्त विधि से समतापूर्वक त्याग करना (सूत्र ३३ )
सामाचारी - धर्मोपदेश ( ३०१ ) । सामाचारी दम है।
सामान्य - अनेक विसदृश पदार्थो मे एक सदृश परिणाम, जैसे कि बाल्यावस्था
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तथा वृद्धावस्था में मनुष्यत्व (६६७६६८) सामायिक- पापारम्भवाले समस्त कार्यो मे निवृत्ति व्यवहार सामायिक है । (४२७ ) और तृण कचन आदि में (४२५) अथवा सर्वभूतो में समभाव (४२८) निश्चय सामायिक है । सावद्य - प्र - प्राणी-पीड़ाकारी प्रवृत्ति, भाषा तथा कार्य (३२६, ३९१, ४२७ )
सासादन - साधक की द्वितीय भूमि । इसकी प्राप्ति एक क्षण के लिए उस समय होती है जब साधक कर्मोदयवश सम्यक्त्व से च्युत होकर मिथ्यात्वअभिमुख होता है, परन्तु साक्षात् मिथ्यात्वावस्था में प्रविष्ट नही हो पाता ( ५५० )
सिवथ - भात का कण या चावल (४४८ ) सिद्ध- १४ भूमियो का अतिक्रम कर लेने
पर आठ कर्मो का नाश हो जाने से अष्ट गुणो की प्राप्ति के फलस्वरूप देह छोड़कर लोक के शिखर पर जानेवाला (५६६)
सिद्धि - मोक्ष प्राप्ति (६२१ )
सुनय - अपेक्षावाद के द्वारा विरोधी-धर्म का समन्वय करनेवाली निष्पक्ष दृष्टि (७२५)
सूक्ष्म- कषाय- दे० सूक्ष्म साम्पराय सूक्ष्म-सराग - दे० सूक्ष्म साम्पराय
सूक्ष्म साम्वराय - साधक की दसवी भूमि जहाँ सब कषाऍ उपशान्त या क्षीण हो जाने पर भी, लोभ या राग का कोई सूक्ष्म लव जीवित रहता है (५५९)
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