________________
३७. अनेकान्तसूत्र ६६० जिमझे बिना लोक का व्यवहार बिलकुल नहीं चल सकता
विश्व के उस एकमेव गुरु अनेकान्तवाद को प्रणाम करता हूं।
६६१. द्रव्य गणों का आश्रय या आधार है। जो एक द्रव्य के आश्रय
रहते है, वे गुण है। पर्यायों का लक्षण द्रव्य या गुण दोनों के आश्रित रहना है ।
६६२ पर्याय के बिना द्रव्य नही और द्रव्य के विकास नही ।
उत्पाद. स्थिति (ध्रुवता) और व्यय (नाम इत्य का अग है। अर्थात् द्रव्य उसे कहते है जिसमे प्रति ममय उत्पाद यादि तीनों
घटिन होते रहते है । ६६३ उत्पाद व्यय के बिना नहीं होता और व्यय उत्ताद के बिना
नहीं होता। इसी प्रकार उत्पाद और व्यय दाना निकालस्थायी प्रौव्यअर्थ (आधार) के बिना नहीं गते ।
६६४. उत्पाद, व्यय ओर ध्रौव्य (उत्पत्ति, विनान ओर रिदिय
तीनो द्रव्य में नहीं होते अपितु द्रव्य को नित्य परिवर्तनगो पर्यायो में होते है । परन्तु पर्यायो का समूह रकम है, अन मर
द्रव्य ही है । ६६५ द्रव्य एक ही समय में उत्पाद, व्यय व ध्रोब्ध नामक अर्थों के
साथ ममवेत-एकमेक है। इसलिए ये तीनो वास्तत्र में द्रव्य है ।
- २१३ --
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org