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चतुराई समझते है। वाह मैने कैसी चतुराई खेली कि इसने मुझे इतना कुछ दे दिया। लेकिन यह सब अज्ञान अधंकार है।
निष्पक्ष वृत्ति में आत्महित - आत्मा का हित आत्मा का मर्म निष्पक्ष हो सके बिना नही मिल सकता है। केवल अपने आप में आत्मत्व का नाता रखकर सब कुछ जाने, करे, बोले, नाता केवल आत्मीयता का हो, किसी अन्य सम्बन्धो का न हो। एक वस्तु का दूसरे वस्तु के साथ कोई तात्विक सम्बध नहीं है, क्योकि वस्तु का सत्व इस बात को सिद्ध करता है कि इस वस्तु का द्रव्य गुण पर्याय कुछ भी इस वस्तु से बाहर नही रहता है और ऐसे ही समस्त पदार्थ है। जब समस्त वस्तुवो में स्वतंत्रता है क्योकि अपने स्वरूप की स्वतंत्रता आये बिना उसकी सत्ता ही नही रह सकती है, तब किस पदार्थ का किससे सम्बंध है?
प्रकाश दृष्टान्त पर वस्तुस्वातन्त्र्य का दिग्दर्शन - वस्तुस्वातन्त्र्य के सम्बन्ध में कुछ दो चार चर्चाये कोई छेड दे तो प्रथम तो कोई थोडी बहत आलोचना करेगा, लेकिन कछ
ई थोड़ी बहुत आलोचना करेगा, लेकिन कुछ सुनने के बाद, मनन के बाद समझ में आ जायगा कि ओह! वस्तु की इतनी पूर्ण स्वतंत्रता है। यहाँ जो प्रकाश दिख रहा है, इसी के बारे में पूछे कि बतावो यह प्रकाश किसका है, सब लोग प्रायः यह कहेगें कि यह प्रकाश लटू का है, बल्ब का है। कितना ? जितना इस कमरे में फैला है। लेकिन यह तो बतावों कि लटू किसको कहते है और वह कितना है? इसके स्वरूप का पहिले निर्णय करे। कहने में आयगा कि वह तो एक तीन- चार इंच घेर का है और उसमें भी जितने पतले-पतले तार है उतना मात्र है। तो यह नियम सर्वत्र लगेगा कि जो वस्तु जितने परिणाम की ह उस वस्तु का द्रव्य गुण पर्याय, (पर्याय मीन्स मोडीफिकेशन) वह उतनेमे ही होगा, उससे बाहर नही। इस नियम से कही भी विघात नही होता है। यह प्रकाश जो इस माइकपर है यह लटू का प्रकाश नही है, यह माइक का प्रकाश है। चौकी पुस्तक कपड़े आदि पर जो प्रकाश्ज्ञ है वह लटू का प्रकाश नही, वह कपड़ा चौकी आदि का प्रकाश है। इसमें कुछ युक्तियां देखो। लठ्ठ भी एक पौद्गलिक चीज है, भौतिक चीज है। जैसे उस भौतिक चीज में इतना तेज स्वरूप होने की योग्यता है तो इस पदार्थ में भी अपनी-अपनी योग्यता के माफिक तेज स्वरूप होने का स्वभाव है। दूसरी बात यह है कि लटू का ही प्रकाश हो तो यह सर्व चीजो पर एक समान होता, यह भेद क्यों पड़ गया कि कांच ज्यादा चमकीला बन गया, पालिशदार चीज उससे कम चमकीली है और यह फर्श अत्यन्त कम चमकीला है। यह अन्तर कहाँ से आया? ये पदार्थ स्वंय अपनी योग्यता के अनुसार प्रकाशमान हो गए है।
छाया दृष्टान्त पर वस्तुस्वातन्त्र्यका दिग्दर्शन – वस्तुस्वातन्त्र्य के बारे में दूसरी बात देखो - इस हाथ की छाया चौकी पर पड़ रही है, सब लोग देख रहे होंगे। अच्छा बताइए कि यह किसका परिणमन है? लोग तो यही कहेगें कि यह तो हाथ की छाया है। लेकिन हाथ कितना है, कहाँ है? जितना हाथ है, जितने में है, हाथ का सब कुछ प्रभाव परिणमन
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