________________
अमुनिओ हमेशा सुतेला । हे पंडितो! हु बधा प्रकारे के अने मुनिओ हमेशा लोभने तनुं छु. जागे छे.
चंडकौशिक सर्पमा अने देवेश्रमण महावीरने चण्ड. न्द्रमां महावीरे मित्रपj कौशिक सर्प डस्यो.
राख्यु. कोइ पण पुरुष कुलपतिना
वायु वडे वृक्षो कंप्या अने खळदने अने मृगने हणतो
पाणीनां बिंदुओ उड्यां.
शुं विचारकने उपाधि नथी.
होय छे ? बळदो अने मृगो तृण
कौशिक देवेन्द्र श्रमण महाखाय छे अने मुनिओ वीरने पूज्या. घी पीए छे,
समुद्रना हाथीए पाणी पीधु. महावीरना उपासक शेठे लोभ संसारनो हेतु छे.
बैशाख मासमां तप कर्यो. सुप्रसन्न मुनिओ क्रोधदशी बधां आभरणो भार छे. होता नथी. कुलपतिए श्रमण महावीरने
ए भिक्षु शेठना कुळनोहतो. काः कुमारवर ! अहीं
हे भिक्षो ! मारा घरमां दूध ऋषिओनो मठ छे.
नथी, पी नथी पण पाणीछे.
ए गृहस्थने बे बाळक हतां. सौमित्रि रामने नमे छे. तेओए हाथवडे पांजराने मुनिओ आहार माटे बधां फेफ्युं. कुलोमां फरे छे
कोने आंखो नथी? प्रीष्मने बीजे मासे अने
पक्षी पांजरामां कंप्यु अने.
हत्या कयु. चोथे पक्षे महावीर बुद्ध
शेठ राजाने नम्यो अने राना थया.
गणपतिने नम्यो. ने क्रोधदर्शी छे ते गर्भ- तमे पाणी इच्छो छो? दर्शी छे अने जे गर्भदर्शी मुनिओना पति महावीर छे ते दुःखदर्शी छे.
राजगृहमां विहर्या.