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परिचय
आ पुस्तकमां में जे क्रम अने रचनापद्धति योजी के तेनी वीगत नीचे मुजब छेः१ प्राकृतप्रत्ययो, धातुओ, नामो अने नामोनां रूपो तथा कृदन्तो आपतां साथे साथे संस्कृत प्रत्ययो, धातुओ, नामो, नामोनां रूपो अने कृदतो मुकेलां छे. २ नामोनां अने धातुनां रूपोनी साधनिका बाबत समजुती
आपतां तेमां भाषाशास्त्रनी मानिती तुलनादृष्टिने प्रधानपदे राखेली छे. ३ अर्थों आपतां मोटा भागे एवा शब्दो योज्या छे के जेमनां
उच्चारणो मूळ शब्दो करतां बहु ओछां जुदा होय. ४ पाछळ खास केटलाक देशी शब्दो उमेर्या छे अने एमना अर्थों पण सरखामणीने लक्ष्यमा राखीने ज उक्त त्रीजी रीते आपेला छे.
[विद्यार्थी साधारण संस्कृत जाणतो होय के सारामां सारुं गूजराती जाणतो होय तो पण आ पाठोद्वारा सरल. ताथी प्राकृतभाषाने शीखी शके अने प्राकृतसाहित्यना रसने आस्वादी शके ए दृष्टिने ध्यानमा राखीने पाठोमा बधे गुजराती, प्राकृत अने संस्कृतनी सरखामणीनी पद्धति मुख्य राखेली छे. आ पद्धतिमा गोखबार्नु घणुं ओर्छ रहे छे. संस्कारो जमाववा माटे थोडं घणुं गोखg पण मने अनिवार्य जणाय छे. सरखे सरखा शब्दो काने आवतां विद्यार्थी, व्युत्पत्ति तरफ पण ढळशे अने तेनी अभ्यासवृत्ति व्युत्पत्तिने शोधवा जरूर मथशे अने एम करता करतां ते, गूजरातीनी गंगोत्रीना मूळ पासे जइ पहोंचशे.]