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________________ ५० अंतर (अन्तर) अंदरनुं कम । (कतम) क्यो,केटलाक अवर (अपर) अवर-बीजें कतम अहर (अधर) नीचुं, बीजूं कयर (कतर) क्यो इम ( इदम् ) आ अमु ( अदम् ) ए ज ( यद् ) जे इयर (इतर) इतर-बीजें त, ण (तद् ) ते उत्तर (उत्तर) उत्तरदिशा, उत्तर- दाहिण । (दक्षिण) दक्षिण, दक्खिण) दक्षिणर्नु इक्क (एक) एक, बीजूं पुरिम ५७(पुरा+इम) पहेलानु,पूर्व पुव्व (पूर्व) पूर्व, पूर्वन एअर ( एतद् ) ए वीस (विश्व) विश्व-बधुं एय स,सुव (स्व) स्व-पोते,पोतार्नु तुम्ह (युष्मद् ) तुं सम (सम) वधु अम्ह (अस्मद् ) हुं सच (सर्व) सर्व-सत्र-बधुं क (किम् ) कोण सिम (सिम) वधु सामान्य शब्दो (नरजाति) भूअ (भूत) भूत-प्राण-जीव । ताव (ताप) ताव-ताप-तडको सीस । (शिष्य) शिष्य, विद्यार्थी बंभण ) (ब्राह्मण) ब्रह्मविद्याने सिस्स। बम्हण जाणनार-समझनारकसिबल (कृषिबल) खेडवाळो माहण ) पुरुष खेडुत कोड (क्रोड) गोद-खोळो अंक (अङ्क) अंक-खोळो पास (पाश) पाश-फांसो, पाशलो हरिस (हर्ष) हरख __-फांसलो बंधव (बान्धव) बांधव-भाई दिणयर (दिनकर) दिननो करपासाय (प्रासाद) प्रासाद-महेल नार-सूरज, दीकरो जीव (जीव) जीव संसार (संसार) संसार-जगत् ५७ पूर्व-पुरिव-पुरिम।
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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