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________________ २०० | विणयर (दिनकर) दिननो करनार तव (स्तव) स्तव-स्तुति सवस्सि (तपस्विन् ) तपस्वी । तस (त्रस) त्रस प्राणी-गति करी शके तेवा प्राणी तंतु (तन्तु) तांतणो तंबोलिअ (ताम्बूलिक) तंबोळी ताव (ताप) ताव-ताप-तडको तिल (तिल) तल तुम्ह ( युष्मद् ) तुं तुरंगम (तुरंगम) तुरत जनार, तुरंग-घोडो तेभ ( तेजस् ) तेज तेलिअ (तैलिक) तेली-तेल __ वेचनार थावर (स्थावर) स्थिर रहेनार- __गति न करी शके ते प्राणी __वनस्पति वगेरे थेर (स्थविर) स्थिर बुद्धिवाळो पाकट-वयोवृद्ध-संत दयालु (दयाल) दयालु दवर दोरो दंड (दण्ड) दंड-डांडो-लाकडी दंत (दन्त) दांत दाडिम (दाडिम) दाडम दास (दास) दास दाहिण । (दक्षिण) दक्षिणदक्षिण दक्षिण- दुकाल (दुकाल) दुकाळ दुक्खदसि (दुःखदर्शिन् ) दुःखने जोनार-दुःख पामनार दुम (द्रुम) द्रुम-झाड दुवेइ (द्विवेदिन् ) दवे, दुबे दुस्सीस । (दुश्शिष्य) दुस्सिस्स दुष्ट शिष्य-विद्यार्थी देवज (दैवज्ञ) दैवने जाणनार जोशी देवर (देवर) देवर-देर-दियर देविंद (देवेन्द्र) देवोनो इन्द्र देवोनो स्वामी देस (देश) देश देसवर (देशपति) देशाई दोस (दोष) दोष, द्वेष दोसिअ (दौष्यिक) दोशी-दृष्य वन वेचनार धअ (ध्वज) धजा-ध्वज धणि (धनिन् ) धानवाळो-धणी धन्न (धान्य) धान्य नड (नट) नट नमि (नमि) ते नामनो एक राजर्षि-नमिराज नमिराय (नमिराज) नमिराज-ते नामनो मिथिलानो एक राजर्षि
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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