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विनय-सूत्र
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जो शिष्य श्रभिमान, क्रोध, मइया प्रमाद के कारण गुरु को विनय (भक्ति) नहीं करता, वह अभूति अर्थात् पतन को प्राप्त होता है । जैसे बॉप का फन उपके ही नाश के लिए होता है, उसी प्रकार अविनीत का ज्ञानन्त्रज्ञ भी उसी का सर्वतः श करता है ।
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(६६)
'अविनीत को विपत्ति प्राप्त होती है, और विनीत को सम्पत्तिये दो बाते जिसने जान ली हैं, वही शिक्षा प्राप्त कर
है }
सकता