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अरात्रि-भोजन-सूत्र
(६४) सूर्य के उदय होने से पहले और सूर्य के श्रस्त हो जाने के पाद निर्धन्य मुनि को सभी प्रकार के भोजन-पान प्रादि की मन मे भी इच्छा नहीं करनी चाहिए।
(६५) संसार में बहुत से अस और स्थावर प्राणी बड़े ही सूपम होते है ये रात्रि में देखे नहीं जा करते सब रात्रि में भोजन कैसे किया जा सकता है?
(१६) जमीन पर कहीं पानी पता होता है। कहीं पोज बिखरे हो? ६, और कहीं पर सूक्ष्म कीडे-मकोडे घाटि जीव होते हैं । दिन में तो उन्हें देख-भालकर बचाया जा सकता है, परन्तु रात्रि मे उनको बचा कर भोजन से किया जा सकता है ?
(६७) इस तरह सघ दोषों को सर ही ज्ञातपुत्र ने कहा है कि नियन्य मुनि, शधि में किसी भी प्रकार का भोजन न करें।