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पद्यका अके
वोच्छिन्द
१३५
१२४ २४८
५३ २२७
सइंधयार
पद्यका आदिवाक्य पद्यका अंक । पद्यका आदिवाक्य रूवेसु जो रोइअनायपुत्त- २६९ | सक्का सहेर्ड लण वि ११७, ११८, | सद्दे सवे य
१२०
सन्तिमे वत्तणालक्खणो वत्थगन्ध-- वरं मे
६५
लोहस्सेस
१०७
स पुष्वमेवं समयाए समया सव्व
२२५ २००
२६६
२१४
२० २७१
सम्मदिट्ठी
समावयंता
९७
३१ १०१ १६५
समिक्ख समं च सयं तिवायए
१९८ ४५
विगिंच वितहं पि वित्तेण ताणं वित्तं पसवो विभूसा इत्थिसंविभूसं विरई अबंभ-- विवत्ती अविणी-- वैया अहोया न वेराई कुवइ
५२
सयं समेच्च
३
। सरीरमाहु
२२१
१५२
८६ | सल्लं कामा १६९ | सववसुद्धिं १९० | सव्वत्थुवहिणा