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महावीर-वाणी
(२८६) सोच्चा जाणइ कल्लाणं सोच्चा जाणइ पावग । उभयं पि जाणइ सोच्चा, जं छेयं तं समायरे ॥५॥
(२८७) जो जीवे वि न जाणइ, अजीवे वि न जाणइ । जोवाऽनीवे अयाणतो कह सो नाहीइ संजम' ॥॥
(२८) जो जीवे वि बियाणाइ, अजीवे वि बियाणइ । जीवाऽजीवे वियाणतो, सो हु नाहीइ संजमं ॥७॥
(२६) जया जीवमजीवे य, दो वि एए वियाणइ । तया गई बहुविहं, सबजीवाण जाणइ ॥८॥
(२६०) जया गइ बहुविहं सव्वजीवाण जाणइ । तया पुण्णं च पावं च वंध मोक्खं च जाणइ ॥६॥