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________________ ना सहकारी संपादक) तथा आ पुस्तकना मूळ तथा हिन्दी अनुवादना मुद्रक भाई परमेष्ठीदासजी जैन ( मालीक जैनेन्द्र प्रेसः ललितपुर उत्तरप्रदेश ) पवने महाशयोप आ पुस्तकना मुद्रणमां जे भारे दिलचस्पी बतावेल छे ते माटे तेमनो वन्नेनो हुं विशेष आभारी हूं. अहीं आ बावत खास जणाववी जोईए के जो आ बन्ने भाईओ पुस्तकना मुद्रण-संशोधन माटे दिलचस्पी न लीघी होत तो मुद्राराक्षसना प्रभावने ली पुस्तकने अंते आपेल शुद्धिपत्रक केटलुं य लांबु थई गयुं होत. डॉ. भगवानदासजीए पोतानी प्रस्तावनामां जणावेल छे के प्रस्तुत आवृत्चिना कागळ सारा नधी अने तेनुं समर्थक कारण पण पोते ज समजावेल छे. तेम हुं पण अहीं आ वात नम्रपणे जणाववानी रजा लउं छं के प्रस्तुत पुस्तकमां मूळ गाथामनुं अने अनुवादनुं मुद्रण मनपसंद नथी छतां महावीर चाणी प्रत्ये सद्भाव राखनारो वाचक वर्ग आ मुद्रण प्रत्ये पण उदारता दाखवी तेने वधावी लेशे प आशा अस्थाने नथी. महावीरवाणीनी कायापलट आगली बधी आवृत्तिभ करतां आ संस्करणमां जे विशेषता छे ते आ प्रमाणे छे : [१२]
SR No.007831
Book TitleMahaveer Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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