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________________ सिंहाक नाम से पुत्र था। सिंहाक, वात्सल्य गुणी एवं प्रतिभाशाली था। जिसके काका सिंह की आज्ञा से सं. 1420 के चैत्र शुक्ला दशमी के दिन पाटण में तपागच्छ के आ. जयानंदसूरि तथा आ. देवसुंदरसूरि का आचार्य पद महोत्सव का आयोजन किया। (जै. पु. प्र. सं.) सिंहाक और धनराज के काका सिंह की आज्ञा से सं. 1441 में खंभात में तमाली स्थंभन पार्श्वनाथ के चैत्य का जिर्णोद्धार करवाया और आ. देवसुंदरसूरि के पट्टधर आ. ज्ञानसूरि का सूरिपद महोत्सव किया। (जै. पु. प्र. क्र. 24) उनके ही चचेरे भाइयों लकमसिंह, रामसिंह ने गोवाले सं. 1442 में आ. देवसुंदरसूरि के पट्टधर आ. कुलमंडनसूरि एवं आ. गुणरत्नसूरि का सूरिपद महोत्सव किया। ((जै. पु. प्र. सं. भाग - 1 ) सोनी प्रथिमसिंह पल्लीवाल के सुपुत्र साल्हा ने आ. देवसुंदरसूरि के उपदेश से सं. 1442 की भाद्रपद शुक्ला द्वितीय चर्तुदशी, सोमवार को खंभात में 'पंचाशकवृत्ति' ताड़पत्र पर लिखवायी। (प्रशस्ति - 40 ) भरतपुर के दीवान जीघारजजी पल्लीवाल ने, भ. महावीर स्वामी का मंदिर बनवाकर विजयगच्छ के भट्टारक के पास प्रतिष्ठा करवायी। विविध ग्रंथ प्रशस्तियों के आधार से जान पड़ता है कि नंदाणी ग्राम का जसद् पल्लीवाल आ. यशोभद्रसूरि का, आमड पल्लीवाल आ. मानतुंगसूरि का, शेठ आरीसिंह तथा कुमारदेवी आ . जिनभद्रसूरि के एवं आगमगच्छ के आ. रत्नसिहं के भक्त श्रावक थे। पल्लीवाल सेठ साहु पद्मा पत्नी तेजल ने कुलगुरु की आज्ञा से भ. मुनिसुव्रतस्वामी की देरी बनवायी । ( नाहर जैन ले . सं. लेखांक 57 ) ठ. पल्लीवाल ने सं. 1271 के आषाढ़ शुक्ला अष्टमी रविवार को भ. आदिनाथ की प्रतिष्ठा करवायी । यह धातुमूर्ति वर्तमान में पाटण में बिराजमान है। ( आ. बुद्धिसागर, जैन प्रतिमा लेख संग्रह भा. 1 लेखकांक 10 ) भीम पल्लीवाल के पुत्र सेल एवं तेज ने सं. 1396 में भ. शांतिनाथ की प्रतिमा भरवायी और राजगच्छ के आ. हंसराजसूरि के पास प्रतिष्ठा करवायी । श्री पल्लीवाल जैन इतिहास: 30
SR No.007799
Book TitlePalliwal Jain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi, Bhushan Shah
PublisherMission Jainattva Jagaran
Publication Year2017
Total Pages42
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size15 MB
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