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________________ रामायण DXOXO रामायण (३) (कीर्तिलालसा, वैराग्य) (१) दो अष्टापद मृग का सीताजी को स्वप्न और गर्भधारण। (२) मालन को डांटनेवाले माली के वचन सुनकर सीताजी संबंधी अफवाह की वेशांतर में राम को तसल्ली और कपट से सीताजी का त्याग । (३) वज्रजंघ राजा की बिनती से सीताजी का उसके घर जाना, वहाँ लवणांकुश और मदनांकुश इन दो पुत्रों का जन्म । (४) रामलक्ष्मणजी के साथ लड़ने आये हुए दोनों का नारदजी द्वारा परिचय। (५) सीताजी के महासतीत्व की परीक्षा, दीक्षा, स्वर्ग। (६) सूर्यास्त देखकर वैराग्य होने से हनु की दो पत्नियों और ७५० राजाओं के साथ दीक्षा और मोक्ष। (७) राम की दीक्षा, अवधि ज्ञान, सीतेन्द्र का उपसर्ग। (८) राम मुनि को केवलज्ञान। 'रावण लक्ष्मणजी हाल चौथी नारकी में बाद दोनों तीर्थंकर, तुम रावण के भावी गणधर' यह सीतेंद्र को राम मुनि द्वारा मालूम होना। (९) दोनों को स्वर्ग में लाने सीतेन्द्र का चौथी नारकी में जाना, उठाते ही अपार वेदना और पारे के समान नीचे गिर बिखर जाना। २९९३ आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज
SR No.007794
Book TitleJin Shasanna Mahapurushona Jivan Prasango
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherBhuvanbhanusuri
Publication Year
Total Pages31
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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