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流水
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नल दमयंती
आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज
नल दमयंती (मुनिपीडा)
(१) पूर्व भव में दमयंतीनें राजा के साथ शिकार को जाते समय साधु को नौकरोंद्वारा पकड़वा कर दुःख दिया। (२) बारह घडी बाद तीव्र पश्चात्ताप हुआ, क्षमा माँगी, घर लाकर भक्ति की। (३) जिन प्रतिमाओं को रत्नतिलक लगाने से दम. के भव में जन्म से ही ललाट में प्रकाश-मान कुदरती तिलक हुआ। (४) स्वर्ग के बाद दोनों ग्वाल बने, बरसात से रूके हुये मुनि पर छाता पकड़ा। (५) बाद दोनों ने दूध बेहराया, दोनों दीक्षित बने। (६) नल निद्रावश दमयंती को जंगल में छोड़ चला गया। (७) गुफा में शांतिनाथ भग० की दमयंती द्वारा तपपूर्वक पूजा भक्ति। (८) देव बने हुये नल के पितानें सर्प बनकर उसे काटा, नल का रूप पलट गया। पूर्व रूप बनाने वस्त्र - श्रीफल और अलंकार डब्बी दी। (९) दधिपर्ण के साथ नल दमयंती के स्वयंवर में। (१०) सूर्यपाक रसोई से दमयंती को नल की पहचान (११) नल का पूर्व रूप होना, भीमरथ में नल को राज दे दिया, जुऐं में कुबेर को जीतकर हारा हुआ अपना भी राज ले लिया। नलदमयंती नें दीक्षा ली, स्वर्ग गये।