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प्राकृत व्याकरणे
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(अनु.) ऋने अन्त पावणाऱ्या नामांमध्ये म्हणजे संज्ञा शब्दांत विभक्तिप्रत्यय पुढे
असताना (अन्त्य ऋ ला) अर असा अन्तादेश होतो. उदा. पिअरा...भायरेहिं.
(सूत्र) आ सौ न वा ।। ४८।। (वृत्ति) ऋदन्तस्य सौ परे आकारो वा भवति। पिआ। जामाया। भाया।
कत्ता। पक्षे पिअरो। जामायरो। भायरो। कत्तारो। (अनु.) ऋकारान्त शब्दाच्या अन्ती सि (हा प्रत्यय) पुढे असताना आकार विकल्पाने
होतो. उदा. पिआ...कत्ता. (विकल्प-) पक्षी :- पिअरो...कत्तारो.
(सूत्र) राज्ञः ।। ४९।। (वृत्ति) राज्ञो नलोपेऽन्त्यस्य आत्वं वा भवति सौ परे। राया। हे राया। पक्षे।
आणादेशे। रायाणो। हे राया। हे रायं इति तु शौरसेन्याम्। एवं हे
अप्पं। हे अप्प। (अनु.) सि (हा प्रत्यय) पुढे असताना राजन् या शब्दातील (अन्त्य) न् चा लोप
झाला असताना अन्त्य (वर्णा) चा आ विकल्पाने होतो. उदा. राया हे राया. (विकल्प-) पक्षी (सू.३.५६ नुसार) आण असा आदेश झाला असताना :- रायाणो. हे राया, हे रायं असे मात्र शौरसेनी (भाषे) मध्ये होते. याचप्रमाणे हे अप्पं, हे अप्प (अशी रूपे होतात).
(सूत्र) जस्-शस्-ङसि-ङसां णो ।। ५०॥ (वृत्ति) राजन्-शब्दात्परेषामेषां णो इत्यादेशो वा भवति। जस्। रायाणो
चिट्ठन्ति। पक्षे। राया। शस्। रायाणो पेच्छ। पक्षे। राया राए। ङसि। राइणो रण्णो आगओ। पक्षे। रायाओ रायाउ रायाहि रायाहिन्तो राया। ङस्। राइणो रणो धणं। पक्षे। रायस्स।
१ कर्तृ
२ राजन्
३ आत्मन्
४ धन
A-Proof