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________________ नयामृतम्-२ विवस्था अनेक भांत छै। तिहां नैगम संग्रह नय करी सर्व जीव सत्ताइं एकरूप छै पिण व्यवहार नय जीवना बे भेद छै—सिद्ध(१) संसारी(२)। संसारी जीवना बे भेद छै—अजोगी चौदमें गुण ठाणे वर्तमान केवली लीधा छै। बीजो सजोगी। सजोगीना बे भेद_एक केवली(१) बीजो उपशांतमोह(२) उपशांत मोहना बे भेद छै_अकषाई(१) ईग्यारमे गुणठाणेंना जीव, सकषाई(२)। सकषाईना बे भेद छै—एक सूक्ष्म सकषाई दशमें गुणठाणाना जीव, बादर कषाइ(२)। बीजा बादर कषाइना बे भेद छै—एक श्रेणिप्रतिपन्न(१) बीजा श्रेणिरहित(२)। श्रेणिरहितना बे भेद छै—एक अप्रमादी(१) बीजा प्रमादी(२)। प्रमादीना बे भेद—एक सर्वविरति(१) बीजा देसविरति(२)। देसविरतिना बे भेद—एक विरतिपरिणाम(१) अविरतिपरिणाम(२)। अविरतिना बे भेद—एक अविरती समकिती(१), बीजो मिथ्यात्वी(२)। मिथ्यात्वीना बे भेद छै—एक भव्य(१) बीजो अभव्य(२)। भव्यना बे भेद छै—एक ग्रंथिभेदी(१) बीजो ग्रंथिअभेदी(२)। इम जे जीव जेहवो दीसे छै ते तेहवो मांने ए विवहार छ। इम पुद्गलना भेद करवा ते कहै छै—पुद्गल द्रव्यना बे भेद छै—एक परमाणुआ(१) बीजो खंध(२)। खंधना बे भेद छै—एक जीवसहित जे जीवनों लागा(१) बीजो जीवरहित घडो प्रमुख अजीव खंध(२)। जीवसहित खंधना बे भेद छै—एक सूक्षम(१) बीजो बादर(२)। __ इहां वर्गणानो विचार लिखीयै छै तिहां पुद्गलनी वर्गणा आठ छै—उदारिकवर्गणा(१), वैक्रियवर्गणा(२), आहारकवर्गणा(३), तेजसवर्गणा(४), भाषावर्गणा(५), ऊसासवर्गणा(६), मनोवर्गणा(७), कर्मवर्गणा(८) ए आठ वर्गणाना नांम। बे परमाणुआ भेला थाइ तिवारे द्वणुक खंध थाइ, तीन परमाणुआ भेला थाइ ते त्रिणुक खंध थाई। इम संख्याते परमाणुए संख्याताणुक खंध थाइं, असंख्याते असंख्याताणुक खंध थावे, अनंते परमाणुए मिलि अणंताणुक खंध थावै। ए सर्व जीवनें अग्रहण योग्य छै अमें अभव्यथी अनंतगुण अधिका परमाणुआ भेला थयां ऊदारिकनी लेवा योग्य वर्गणा थाय। इण अनंतगुण अधिक वर्गणा नामें दल थाइं तिवारै वैक्रीनी वर्गणा थायें। इम वैक्री अनंतगुण परमाणु मिल्या आहारक वर्गणा थायै। एम सर्व वर्गणा एक एकथी अनंतगुणा अधिक परमाणुआ मिलै ते सर्व अनंत गुणा थायै एतलै पहिलीथी बीजी वर्गणा, बीजीथी तीजी वर्गणा इम सातमी मनोवर्गणाथी आठमी कर्मवर्गणामें अनंतगुणा परमाणुं अधिक छै। इहां उदारिक(१), वैक्रिय(२), आहारक(३), तेजस(४) ए च्यार वर्गणा बादर छै। इणांमें पांच वर्ण, बे गंध,पांच रस, आठ फरस ए वीस गुण छै भाषा(१), ऊसास(२), मन(३), कार्मण(४) ए च्यार सूक्ष्म वर्गणा छ। एमें पांच वर्ण, बे गंध,पांच रस, चार फरस ए सोलै गुण छ। एकलै परमाणुएमें एक वर्ण, एक गंध, एक रस, बेइ फरस ए पांच गुण छ। इम पुद्गल खंधना अनेक भेद छै। हिवै विवहारनयना छ भेद छै। शुद्ध विवहार(१) जे गुणठाणानो छोडवो उपरिला गुणठांणानो लेवो अथवा ज्ञान-दर्शन-चारित्रगुण निश्चै नय एकरूप छै। ए शिष्यने समझाइवाने जुदा भेद कहवा ते शुद्ध विवहार(१)। बीजो अशुद्ध विवहार जे जीवमें अज्ञान-राग-द्वेष लागा छै ते अशुद्धपणे छै ए अशुद्ध विवहार(२)। त्रीजो शुभ विवहार जे पुण्यनी क्रिया करणी ते शुभ विवहार(३)। चोथो अशुभ विवहार पापरूप अशुभ कर्म जीव जिणथी करै(४)।
SR No.007790
Book TitleNayamrutam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages202
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
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