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________________ बीयं परिसिटुं १०६५ ३६०२ ३६०१ 5 ५३८९ ३१०८ ३८१४ ४४२९ २८४० २५४६ 5 5 5 २१५६ 5 जं पुण तेण अदिढे जं पुण तेसिं चिय भायणेसु जं पुण दुहतो उसिणं जं पुण पढमं वत्थं जं पुण संभावेमो जं पुण सच्चित्ताती जं मंडलिं भंजइ तत्थ मासो जं वंसिमूलऽण्णमुहं च तेणं जं वत्थ जम्मि कालम्मि जं वत्थ जम्मि देसम्मि जं वा असहीणं तं जं वा पढमं काउं जं वा भुक्खत्तस्स उ जं वेलं कालगतो जं सिलिपद निदायति जं होहिति बहुगाणं जंगमजायं जंगिय जंघद्धा संघट्टो जंते रसो गुलो वा जइ अंतो वाघाओ जइ इच्छसि सासेरा जइ उस्सग्गे न कुणइ जइ एगत्थुवलद्धं जइ एगस्स वि दोसा जइ एयविप्पहूणा जइ एयविप्पहूणा जइ एवं संसटुं जइ कुट्टणीउ गायंति जइ कूवाई पासम्मि जइ गमणं तु गतिमतो जइ जं पुरतो कीरति ५९१३ २८३० ४३५१ ५३८२ ३१६५ ३५१४ ३८८५ ३८८४ ३५५२ ११०० ६००३ ५५१८ ११४८ ४२२८ ३६६१ ५६३६ ३६४८ २०६८ जइ णेउं एतुमणा जइ तत्थ दिसामूढो जइ ता अचेतणम्मिं जइ ता दंडत्थाण पावइ बालो जइ ता दिया न कप्पइ जइ ता सणप्फईसुं जइ ताव तेसि मोहो जइ ताव दलंतऽगालिणो जइ ताव लोइय गुरुस्स जइ तिन्नि सव्वगमणं जइ तेसिं जीवाणं जइ दिवसे संचिक्खति जइ देंतऽजाइया जाइया जइ दोण्णि तो णिवेदित्तु जइ नाणयंति जोइं जइ नाम सूइओ मि जइ नीयमणापुच्छा जइ पंच तिन्नि चत्तारि जइ पज्जणं तु कम्म जइ परो पडिसेविज्जा जइ पुण अणीणिओ वा जइ पुण अत्थिज्जंता जइ पुण खद्धपणीए जइ पुण जुन्ना थेरा जइ पण परिमं संघं जइ पुण संथरमाणा जइ पुण सव्वो वि ठितो जइ पुण होज्ज गिलाणी जइ पोरिसित्तया तं जइ भुत्तुं पडिसिद्धो जइ भोयणमावहती ४३२५ ५३०५ १५१४ ३८३० ५५५६ २९७६ ३२१३ २९४१ ४५४६ ५५६३ १५१८ १७६७ २७०२ ५५४० ४४०७ १४८८ १५२९ ५३४६ ४८४९ २४८३ ६२७२ ५२७२ ६०१३ ४०७३ ६२२८ ३४३७ ४५८२ १८४० ५२८० ५३०४ ५३०८ २६६३ ११०६ ६३५१ १८१७
SR No.007788
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size6 MB
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