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________________ पढमं परिसिटुं १०२३ पाणाइवाय (प्राणातिपात) ६/२ पाणि (पाणि) ५/६ से ९ पाय (पाद) ४/३० पायकेसरिया (पात्रकेसरिका) ५/३२,३३ पायच्छित्त (प्रायश्चित्त) ४/२६ पायपुंछण (पादप्रोञ्छन) १/३८ से ४१,४३, ५/३४,३५ पायमूल (पादमूल) १/३८ से ४१ पारंचिय (पाराञ्चिक) ४/२ पारियासिय (पारिवासित) ५/३७ से ३९ पारिहारिय (पारिहारिक) २/१३ पास (दृश्)- पासेज्जा ४/२६ पासवण (प्रस्रवण) १/१९, ३/१, २१, ४/२७, ५/१३,१४ पाहुडिया (प्राभृतिका) २/२४ से २७ पिंडय (पिण्डक) पिंडवाय (पिण्डपात) १/३८,४०, ३/१३, ४/१४,२७, ५/११,१२,१५,४१ पिब (पा)- पिबेज्ज ५/११ पिय (पितृ) ४/१० पिवासिय (पिपासित) ४/२८ पिहिय (पिहित) २/२,३,९,१० पीढ (पीठ) ५/२८,२९ पुंजकड (पुजीकृत) २/२,३,९,१० पुडभेयण (पुटभेदन) पुण (पुनर) पुत्त (पुत्र) ४/१० पुरओ (पुरतस्) पुरत्थिम (पौरस्त्य,पूर्व) १/४७ पुरिसरूव (पुरुषरूप) ५/३,४ पुरिससागारिय (पुरुषसागारिक) १/२७,२८ पुलागभत्त (पुलाकभक्त) ५/४१ पुव्व (पूर्व) १/४२, ३/२८ से ३० पुव्वामेव (पूर्वमेव) ५/११ पुव्वोवट्ठविय (पूर्वोपस्थापित) ३/१४,१५ पूय (पूज्य) २/२५,२७ पूयाभत्त (पूज्यभक्त) २/२४ से २७ पूव (पूप) पेहाए (प्रेक्ष्य) ३/३३ पोत्तय (दे.पोतक) २/२८ पोरिसी (पौरुषी) ४/१२ २/८ २/८ फरुसवयण (परुषवचन) ६/१ फलग (फलक) ५/२८,२९ फाणिय (फाणित) २/८ फुसिय (पृषत) ५/१२ बब्भागम (बह्वागम) ४/२६ बहिया (बहिस्, बहिस्तात्) १/३९,४१,४५,४६, २/१४ से १७, ३/३३, ४/२६, ५/१५, २९,४० बहुफासुय (बहुप्राशुक, स्पर्शक) ४/१२ से १४,२५, ५/११,१२ | बहुस्सुय (बहुश्रुत) ४/२६ ३/१३
SR No.007788
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size6 MB
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