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________________ सुत्तंको अ पढमं परिसिढें - कप्पसुयस्स सद्दकोसो सद्दो अणुग्घाइय (अनुद्धातिक) १/३७, २/१७, ३/३३, ४/१,१०, अइक्कम (अति+क्रम्) ११,५/१ से ४,६ अइक्कम ४/६ से १०, १३ १४ अइक्कमेज्जा ५/४० अणुचरिया (अनुचरिका) ३/३२ अइक्कमण (अतिक्रमण) १/३७,२/१७,३/३३ अणुण्णवणा (अनुज्ञापना) ३/२८ से ३०,३२ अंग (अङ्ग) १/४७, अणुण्णवित्ता (अनुज्ञाप्य) ३/८७ अंजलि (अञ्जलि) १/३३ अणुण्णवेयव्व अंड (अण्ड) ४/३१ से ३४ (अनुज्ञापयितव्य) अंतरगिह (अन्तर्गृह) ३/२१ से २४ अणुपथ (अनुपथ) ३/३२ अंतरावण (अन्तरापण) १/१२,१३ अणुप्पदा (अनु+प्र+दा)अंतिय (अन्तिक) ४/२६,५/४० अणुप्पदेज्जा ४/१२ अचित्त (अचित्त) ३/२६, ४/१४,२५ अणुप्पदाउं (अनुप्रदातुम्) ४/१४,२७,२८ अचित्तकम्म अणुप्पविट्ठ (अनुप्रविष्ट) १/३८,४०, ३/१३, (अचित्तकर्मन्) १/२१ ४/१४, ५/११, १२, अचेलिया (अचेलिका) ५/१६ अट्ठ (अर्थ) ३/१३, ५/४१ अणुफरिहा (अनुपरिखा) ३/३२ अट्ठजाय (अर्थजात) ६/१८ अणुभित्ति (अनुभित्ति) ३/३२ अट्ठिच्चा (अस्थित्वा) ३/२३,२४ अणुमेरा (अनुमर्यादा) ३/३२ अणत्थमियसंकप्प अणुवठ्ठावियय (अनस्तमितसङ्कल्प) ५/६ से ९ (अनुपस्थापितक) ४/१४ अणवठ्ठप्प (अनवस्थाप्य) ४/३ अणेगराइय (अनेकरात्रिक) ३/४ अणापुच्छित्ता (अनापृछ्य)४/१६ अणेसणिज्ज (अनेषणीय) ४/१४ अणुकुड्ड (अनुकुड्य) ३/३२ अण्ण (अन्य) ३/१३, ४/१२, १३, अणुगवेसियव्व १६ से २४, ५/५ से (अनुगवेषितव्य) ३/२७ ९, ११, १२, ४० अणुगवेस्समाण अण्णत्थ (अन्यत्र) (अनुगवेष्यमाण) ३/२७ अण्णधम्मिय अणुग्गय (अनुद्गत) ४/६ से ९ (अन्यधार्मिक) ४/३ ४१
SR No.007788
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size6 MB
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