________________ 856 विसेसचुण्णि [उवस्सयविहिपगयं संथारए कए सप्पस्स य साहुस्स य अंतरा हत्थो पमाणं / एएण कारणेणं तिण्णि हत्था उच्चो कीरइ / संथारयस्स उवरितणिया रयणीए मउडं तत्थ कहं उवढेउ, अच्छउ साहू पडिलेहाए सुज्झइ तेण इमं पमाणं / माला लंबइ हत्थं, सप्पो संथारए निविट्ठस्स। सप्पस्स य सीसस्स य, जह हत्थो अंतरा होति // 5678 // काउस्सग्गं तु ठिए, मालो जइ हवइ दोसु रयणीसु / कप्पइ वासावासो, इय तणपुंजेसु सव्वेसु // 5679 // "माला लंबइ हत्थं०" ["काउस्सग्गं तु०"] गाहा / उप्पि तु मुक्कमउडे, अहि ठंते चउलहुं च आणाई। मिच्छत्ते वालाई, बीयं आगाढं संविग्गो // 5680 // "उप्पि तु०" गाहा / कण्ठ्या / अहेव मउडेइ :: (चतुर्लघु) आणादि / माले वा आवडेज्ज दीहजाईण वा वेज्जेण काउसग्गठिए मालि जइ हवइ दोसु रयणीसु कप्पइ वासावासो य तणपुंजेसु सव्वेसु / बिइयपदेसु मुक्कमउडेसु ठाएज्ज असिवोमदरियासु खेत्ताणं वा अलंभे ताहे तत्थेव अच्छइ। दीहाइमाईसु उ विज्जबंधं, कुव्वंति उल्लोय कडं च पोत्तिं / कप्पाऽसईए खलु सेसगाणं, मुत्तुं जहण्णेण गुरुस्स कुज्जा // 5681 // "दीहाइमाईसु०" वृत्तं कण्ठ्यम् / [सुत्तं] से तणेसु वा जाव संताणएसु उप्पिरयणी मुक्कमउडेसु कप्पति निग्गंथाण य निग्गंथीण य तहप्पगारे उवस्सए वासावासं वत्थए // 4-37 // "से तणपुंजेसु वा जाव उप्पिरयणि" सुत्तं उच्चारेयव्वं / अहियगहणादपरिमाणं दीवड्डेण हत्थेण दोहिं वा अड्डाइज्जेहिं वा। // उवस्सयविहिपगयं समत्तं // // कप्पचुण्णीए चउत्थो उद्देसो समत्तो // // कप्पस्स चउत्थो //