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________________ बुद्धिसागरः (अन्वयः) मानं विहाय वाल्लभ्यं याति, अन्यथा दौर्भाग्यम्, मानी कृच्छ्रात्कार्यकरो सुभगो नरः हेलया कार्यकरः। (अर्थः) मान को छोडकर वल्लभता (प्रियता) को प्राप्त करता है, अन्यथा दौर्भाग्य को प्राप्त करता है,मानी पुरुष को कार्य करने की महेनत करनी पडती है, वहीं सुभग पुरुष का कार्य आसानी से होता है। अथ राजवाहनाश्वलक्षणम्। मूल] तुरङ्गाः शतशो राज्ञा पालनीयाश्च सिन्धुजाः। पूर्वोक्तं श्रूयते वाक्यं यस्याश्वास्तस्य मेदिनी॥१७८॥(२.९१) (अन्वयः) राज्ञा सिन्धुजाः शतशः तुरङ्गाः पालनीयाः पूर्वोक्तं वाक्यं श्रूयते यस्याश्वास्तस्य मेदिनी। (अर्थः) राजा के द्वारा सिन्धु देश में उत्पन्न सैंकडो घोडों का पालन करना चाहिए क्योंकि पूर्वपुरुषों कथन है कि जिसके पास घोडे होते हैं उसकी पृथ्वी होती है। [मूल] निर्मीसो वदने प्रोथे चल: स्कन्धेऽतिबन्धुरः। विशालोरस्कतायुक्तो लघुः स्यात्कर्णयोर्द्वयोः॥१७९॥(२.९२) (अन्वयः) वदने निर्मासः, स्कन्धे चलः, प्रोथे अतिबन्धुरः, विशालोरस्कतायुक्तः, कर्णयोर्द्वयोः लघुः स्यात्। (अर्थः) उसके मुख में मांस नही होना चाहिए, उसकी चाल सुविख्यात होनी चाहिए, उसके कंधे झुके हुए होने चाहिए, उसका सीना विशाल होना चाहिए तथा उसके दोनों कान छोटे होने चाहिए। [मूल] नेत्रे विशाले मणिवद्दीपमानातिनिर्मले। मध्ये परिमितः पीनः पश्चात्पार्श्वद्वयोरपि॥१८०॥(२.९३) (अन्वयः) नेत्रे विशाले मणिवद्दीपमानातिनिर्मले मध्ये परिमितः पश्चात् पार्श्वद्वयोरपि पीनः । (अर्थः) (उसकी) आँखें विशाल और मणि की तरह उज्ज्वल तथा निर्मल होनी चाहिए, बीच में पतला तथा दोनो बाजू से पुष्ट होना चाहिए। [मूल] स्निग्धरोमोद्गमः पृष्ठे विशालो वायुवेगजित्। आवतैश्च शुभैर्युक्तो निन्दितैश्च विवर्जितः॥१८१॥(२.९४) (अन्वयः) पृष्ठे स्निग्धरोमोद्गमः विशालो वायुवेगजित् शुभैरावर्तेश्च युक्तो निन्दितैश्च विवर्जितः। (अर्थः) (उसकी) पीठ पर स्निग्ध रोम होने चाहिए, वह विशाल होना चाहिए, शुभ लक्षणवाले भौंरों से युक्त तथा निंदित भौंरों से रहित होना चाहिए। [मूल] इत्यादि शालिहोत्रोक्तैर्लक्षणैर्लक्षितः शुभैः। वाहितः सततं चारु गतिविद्भिर्भटैस्तु यः॥१८२॥(२.९५) मूल] सबलस्तरुणः शूरः शुद्धवंशसमुद्भवः। राजवाहनयोग्योऽसौ मेदुरामण्डनं हयः॥१८३॥(२.९६)युग्मम्।
SR No.007785
Book TitleBuddhisagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangramsinh Soni
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2016
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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