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________________ २२४ अर्धमागधी व्याकरण अड्डाइज्जाइं पलिओवमाइं (२-१ पल्योपमे); पलिओवमाणि? अट्ठ (आठ पल्योपमे) (ग) तिण्णि सागरोवमाइं (३ सागरोपमे); सत्त सागरोवमाइं (७ सागरोपमे); अट्ठारस सागरोवमाइं (१८ सागरोपमे); तेत्तीसं सागरोवमाई (३३ सागरोपमे). पुरवणी २ साधित शब्दात, समासात व सामासिक संख्यावाचकात होणारे संख्यावाचकांचे विकार (१) एक्क, एग : (१) एक्क° (२) एक्का (३) एग° : (एगिदिय एक + इन्द्रिय) (४) एगा (५) इग° (६) एया : (एयारस, ११) (२) दो : (१) दो° : (दोमासिय द्वि-मासिक, दोमुह द्विमुख) (२) दु° : (दुगुण द्विगुण, दुपय द्विपद, दुहा द्विधा) (३) दि° : (दिय द्विज) (४) दुवा : (दुवालस, १२) (५) बा° : (बारस, १२) (६) बे° : (बेइंदिय, बेंदिय द्वि - इन्द्रिय). (३) ति : (१) ति° : (तिविह तिविध, तियस त्रिदश) (२) ते° : (तेइंदिय, तेंदिय त्रि-इन्द्रिय (३) ताय° : (तायत्तीसा, ३३) (४) ताव° : (तावत्तीसा, ३३) (४) चउ : (१) चउर्° : (चउरंस, चउरिदिय) (२) चउर° : (चउरासीइ, ८४) १ सामासिक संख्यावाचकात होणाऱ्या विकारांची उदाहरणे एक ते शंभर या संख्यावाचकात येऊन गेलेली आहेतच. म्हणून येथे समास व साधित शब्द यातील उदाहरणे मुद्दाम दिली आहेत.
SR No.007784
Book TitleArdhamagdhi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK V Apte
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages513
LanguageMarathi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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