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अर्धमागधी व्याकरण
अड्डाइज्जाइं पलिओवमाइं (२-१ पल्योपमे); पलिओवमाणि? अट्ठ (आठ
पल्योपमे) (ग) तिण्णि सागरोवमाइं (३ सागरोपमे); सत्त सागरोवमाइं (७ सागरोपमे);
अट्ठारस सागरोवमाइं (१८ सागरोपमे); तेत्तीसं सागरोवमाई (३३ सागरोपमे).
पुरवणी २
साधित शब्दात, समासात व सामासिक संख्यावाचकात होणारे संख्यावाचकांचे विकार (१) एक्क, एग :
(१) एक्क° (२) एक्का (३) एग° : (एगिदिय एक + इन्द्रिय) (४) एगा
(५) इग° (६) एया : (एयारस, ११) (२) दो :
(१) दो° : (दोमासिय द्वि-मासिक, दोमुह द्विमुख) (२) दु° : (दुगुण द्विगुण, दुपय द्विपद, दुहा द्विधा) (३) दि° : (दिय द्विज) (४) दुवा : (दुवालस, १२) (५) बा° : (बारस, १२) (६) बे° : (बेइंदिय, बेंदिय
द्वि - इन्द्रिय). (३) ति :
(१) ति° : (तिविह तिविध, तियस त्रिदश) (२) ते° : (तेइंदिय, तेंदिय त्रि-इन्द्रिय (३) ताय° : (तायत्तीसा, ३३) (४) ताव° : (तावत्तीसा,
३३)
(४) चउ :
(१) चउर्° : (चउरंस, चउरिदिय) (२) चउर° : (चउरासीइ, ८४)
१ सामासिक संख्यावाचकात होणाऱ्या विकारांची उदाहरणे एक ते शंभर या
संख्यावाचकात येऊन गेलेली आहेतच. म्हणून येथे समास व साधित शब्द यातील उदाहरणे मुद्दाम दिली आहेत.