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________________ जैन ध्यान' जैन ध्यान के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं: 1. कर्म-द्रव्यों के आस्रव को रोकना 2. संचित कर्मों की निर्जरा को प्रोत्साहन इससे अमर आत्मा की वास्तविक प्रकृति - अनंत ज्ञान, दर्शन, सुख और वीर्य के गुणों की अभिव्यक्ति के द्वारा प्रकट होती है। दैनिक ध्यान के लिये लगभग 20 मिनट का समय लगता है जो अधिकतम 48 मिनट तक का हो सकता है। सर्वप्रथम, शरीर के शिथिलीकरण-आसन में बैठें। उसके बाद प्राणायाम ( श्वासोच्छवास - नियंत्रण की क्रिया) करें। श्वास लें, रोकें और फिर उसे छोड़ें। इन क्रियाओं के समय का अनुपात 1:2:1 रहे। अर्थात् एक से आठ तक की गिनती में श्वास लें, फिर उसे 1-16 तक की गिनती तक रोकें और फिर 1-8 तक की गिनती में श्वास छोड़ें। यह प्राणायाम लगभग 12 बार करें। एक बार जब आप शिथिलीकृत हो जाते हैं, तब आप अपने दैनिक जीवन के बारे में सोच सकते हैं। पांच अणुव्रतों के विषय में सोचने के लिये आप निम्न बातों पर ध्यान दें। इनका मूल सिद्धांत अहिंसा है। इसका उद्देश्य अपनी आत्मा को उच्चतर स्तर पर ले जाना है। * गुरुदेव चित्रभानु द्वारा रचित 'प्रतिक्रमण ध्यान से उद्धृत (डिवाइन नोलेज सोसायटी, मुम्बई) For Private & Personal Use Only www.yjf.org.uk 45 अ. ध्यानः प्रारंभिक कर्तव्य-सूची 1. मैं रत्नत्रय की आराधना करता हूं : सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चारित्र 2. मैं मृदुता के साथ व्यवहार करूंगा : सभी के साथ मित्रता गुणीजनों के प्रति भक्ति और आनंद माध्यस्थ भाव जो उपदेशों पर ध्यान नहीं देते दुखी जीवों के प्रति करुणा । 3. मैं सभी व्यक्तियों या वस्तुओं के लिये प्रकाश का विकिरण करूं । मैं प्रकाश हूं और केवल प्रकाश ही मेरे अंदर आ सकता है। मैं अनंत ज्ञान हूं, मैं अनंत दर्शन हूं। मैं अनंत सुख हूं, मैं अनंत वीर्य हूं। ब. ध्यान : मुख्य कर्तव्य-सूची 1. सकारात्मक अहिंसा क्या मैं (स्वयं या अन्य के प्रति ) मन, वचन और काया से अहिंसक रहा ? क्या मैंने दूसरों को हिंसा के लिये प्रोत्साहन या अनुमोदना की ? क्या मैनें अपने विचारों को दूसरों पर थोपने का प्रयास किया ? क्या मैंने अपने पद या स्थिति को दूसरों के सामर्थ्य या कमजोरी को घटाने-बढाने में उपयोग किया ? क्या मैने कठोर वचन बोले ? For Private & Personal Use Only www.yjf.org.uk 46
SR No.007783
Book TitleJain Thoughts And Prayers
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanti V Maradia
PublisherYorkshire Jain Foundation
Publication Year2007
Total Pages52
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size7 MB
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