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महात्मा गांधी और श्रीमद् रायचंदभाई के बीच पत्राचार'
रायचंदभाई का उत्तर
जैनधर्म के सार को व्यक्त करने के लिये हम यहां महात्मा गांधी के द्वारा रायचंद भाई के समक्ष प्रस्तुत एक प्रश्न और उसका उत्तर दे रहे हैं। रायचंदभाई इस सदी के एक महान् जैन व्यक्तित्व माने जाते हैं। महात्मा गांधी ने कहा है, "मुझे तीन व्यक्तियों ने बहुत प्रभावित किया है : टाल्स्टाय, रस्किन और रायचंदभाई। टाल्स्टाय ने अपनी पुस्तकों के द्वारा ... रायचंदभाई से व्यक्तिगत संपर्क द्वारा।
मुझे यह सलाह देने में संकोच होता है कि आप सांप को आपको डसने दें। तथापि जब आपने यह जान लिया है कि शरीर नश्वर है, इस नश्वर शरीर की रक्षा के लिये उस जीव को मारना कहां तक उचित है जो अपने जीवन से अत्यंत राग रखता है ? अपने आध्यात्मिक कल्याण चाहने वाले के लिये, ऐसी स्थिति में अपने शरीर को नष्ट करना ही अच्छा है। लेकिन ऐसा व्यक्ति क्या करे जो अपना आध्यात्मिक कल्याण नहीं चाहता ? इस प्रश्न के संबंध में मेरा यही कहना है कि मैं उसे कैसे कहं कि यदि वह सांप को मारता है, तो उसे नरक के समान घोर विश्व में चक्कर लगाने होंगे। यदि किसी व्यक्ति में सात्विक चरित्र के विकास की रुचि नहीं है, तो वह सांप को मारने की सलाह दे सकता है। लेकिन मैं सोचता हूं कि न तो मैं और न आप ही स्वप्न में भी इस कोटि के व्यक्ति हैं।
गांधी का पत्र
अक्टूबर 20, 1894
यदि कोई सांप मुझे डसना चाहता है, तो क्या मैं उसे डसने दूं या उसकी हत्या कर दूं - यह मानकर कि अपने जीवन को बचाने का केवल यही एक मार्ग है?
*पी. एस. जैनी द्वारा किया गया अंग्रेजी में अनुवाद (1979)
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