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________________ 76] www.vitragvani.com [ सम्यग्दर्शन : भाग-5 चलो, चलो... सब कुन्दप्रभु के साथ सिद्धालय में जायें अनन्त सिद्ध भगवन्तों को आत्मा में स्थापित करके, उनके समान साध्यरूप शुद्धात्मा के अनुभव द्वारा आराधकभाव की झनझनाहट करानेवाला अपूर्व मंगलाचरण करके आचार्यदेव ने समयसार की शुरुआत की है। 'बंदिनु राज्य सिद्धे अहो! यह समयसार जगत का अजोड़ चक्षु है । वह आनन्दमय आत्मा को प्रत्यक्ष करता है, अर्थात् अतीन्द्रिय परम आनन्द का अनुभव, वह इस समयसार के श्रवण का फल है । अहो ! अद्भुत आनन्दकारी आत्मा का जिसमें कथन है-ऐसे इस समयसार द्वारा हमने शुद्धात्मा दिखलाया है; तुम स्वानुभव से उसे प्रमाण करना। मात्र परलक्ष्य से हाँ करके नहीं अटकना परन्तु तुम्हारे अपने स्वानुभव में लेकर प्रमाण करना । अहो! ऐसे सन्त और ऐसे समयसार द्वारा ऐसे शुद्धात्मा का श्रवण मिला तो अब उसके अनुभव का यह अवसर है - ऐसा Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007772
Book TitleSamyag Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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