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सम्यग्दर्शन : भाग-4]
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एक महान घटना हुयी। क्या घटना हुयी-उसे देखने के लिए अपनी कथा को मथुरानगरी में ले चलते हैं।
मथुरानगरी में एक गरीब बालिका जूठन खाकर पेट भरती थी, उसे देखकर एक अवधिज्ञानी मुनि बोले कि देखो, कर्म की विचित्रता ! यही लड़की कुछ समय में राजा की पटरानी होगी।
मुनि की यह बात सुनकर एक बौद्धभिक्षुक उसे अपने मठ में ले गया और उसका पालन-पोषण करने लगा। उसका नाम बुद्धदासी रखा और उसे बौद्धधर्म के संस्कार दिए।
जब वह युवती हुई, तब उसका अत्यन्त सुन्दररूप देखकर राजा मोहित हो गया और उसके साथ विवाह करने की माँग की। परन्तु उस राजा के उर्विला नाम की एक रानी थी जो जैनधर्म का पालन करती थी, इसलिए मठ के लोगों ने कहा कि यदि राजा स्वयं बौद्धधर्म स्वीकार करें और बौद्धदासी को पटरानी बनायें तो हम विवाह कर देते हैं। कामान्ध राजा ने तो बिना विचारे यह बात स्वीकार कर ली। धिक्कार है विषयो को! विषयान्ध जीव सत्यधर्म से भी भ्रष्ट हो जाता है। __ अब बुद्धदासी राजा की पटरानी हुयी, अत: वह बौद्धधर्म का बहुत प्रचार करने लगी। एक बार उर्विलारानी जोकि जैनधर्म की परमभक्त थी, उसने प्रति वर्ष की भाँति अष्टाह्निका पर्व में जिनेन्द्र भगवान की विशाल अद्भुत रथयात्रा निकालने की तैयार की, परन्तु बौद्धदासी से यह सहन न हुआ। उसने राजा से कहकर वह रथयात्रा रुकवा दी और बौद्ध की रथयात्रा पहले निकालने को
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