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________________ www.vitragvani.com 2 [सम्यग्दर्शन : भाग-2 शुद्धात्मा की धगशवाले जिज्ञासु शिष्य को....... जिसे शुद्ध आत्मा समझने की धगश जागृत हुई है – ऐसे जिज्ञासु शिष्य को प्रश्न उत्पन्न होता है कि ऐसा शुद्ध आत्मा कौन है कि जिसका स्वरूप जानना चाहिए।' अनन्त-अनन्त काल से आत्मा के शुद्धस्वभाव की बात सुनी नहीं, रुचि नहीं, जानी नहीं, अनुभव नहीं की परन्तु अब उसकी जिज्ञासा जागृत हुई है, इस कारण शिष्य प्रश्न करता है कि आत्मा का शुद्धस्वभाव कैसा है ? ऐसे जिज्ञासु शिष्य को आचार्यदेव शुद्धात्मा का स्वरूप समझाते हैं। __ जैसे रण में किसी को पानी की तृषा लगी है, पानी पीने की छटपटाहट हुई है, वह पानी की निशानी सुने, तब उसे कैसी उत्कण्टा होती है! और फिर पानी पीकर कितना तृप्त होता है ! उसी प्रकार जिसे आत्मस्वरूप जानने की छटपटाहट हुई है, वह शुद्धात्मा की बात सुनते ही कितना आनन्दित होता है ! और फिर सम्यक् पुरुषार्थ करके आत्मस्वरूप पाकर कितना तृप्त होता है ! जिसे शुद्ध आत्मस्वरूप को जानने की तीव्र जिज्ञासा हुई है, उसे समयसार सुनाया जाता है। आत्मा समझने के लिये जिसे अन्तर में वास्तव में धगश और छटपटाहट जागृत हो, उसे अन्तर में समझ का मार्ग हुए बिना रहता ही नहीं। Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007769
Book TitleSamyag Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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