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Āptamīmāṁsā
अर्थ आपका तीर्थ, शासन सर्वान्तवान् है और गौण तथा मुख्य की कल्पना को साथ में लिए हुए है। जो शासन - वाक्य धर्मों में पारस्परिक अपेक्षा का प्रतिपादन नहीं करता, वह सर्वधर्मों से शून्य है। अतः आपका ही यह शासनतीर्थ सर्व दुःखों का अन्त करने वाला है, यही निरन्त है और यही सब प्राणियों के अभ्युदय का कारण तथा आत्मा के पूर्ण अभ्युदय का साधक ऐसा सर्वोदय - तीर्थ है।
आचार्य समन्तभद्र प्रणीत आप्तमीमांसा का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद एवं विवेचन करके धर्मानुरागी श्री विजय कुमार जी ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। इससे सम्पूर्ण विश्व को आचार्य समन्तभद्र के अनुपम वचनों को समझने का सौभाग्य प्राप्त होगा। वे पहले भी इसी प्रकार के अनेक उत्कृष्ट ग्रन्थों को शुद्धता एवं सुन्दरता के साथ प्रकाशित कर चुके हैं। मेरा उनको बहुत - बहुत मंगल आशीर्वाद है।
शुभाशीर्वाद
नवम्बर 2015
कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली
(vi)
आचार्य विद्यानन्द मुनि