________________
ACKNOWLEDGMENT
ll that is contained in this book has been excerpted, translated or
adapted from a number of authentic Jaina texts. Due care has been taken to conserve the essence of Aptamīmāṁsā (Devāgamastotra) - the Holy Scripture composed by Ācārya Samantabhadra. Contribution of the following publications in the preparation of the present volume is gratefully acknowledged:
1. जगदीशचन्द्र जैन (डॉ.) (1992), श्रीमल्लिषेणसूरिप्रणीता स्याद्वादमञ्जरी,
श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास-388130,
पंचमावृत्ति. 2. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री (2010), जैन न्याय, भारतीय ज्ञानपीठ, 18 __इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्ली-110003. 3. पं. जुगलकिशोर मुख्तार (1978), श्रीमत्स्वामि-समन्तभद्राचार्यवर्य-विरचित
देवागम अपरनाम आप्तमीमांसा, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट प्रकाशन,
वाराणसी-221005. 4. पं. मनोहरलाल (वि. सं. 1969), श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचितः प्रवचनसारः,
श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, बम्बई-2. 5. पं. मोहनलाल शास्त्री (2005), श्रीमाणिक्यनन्दिस्वामि विरचित परीक्षामुख,
भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत्परिषद्. 6. प्रो. उदयचन्द्र जैन (2012), आचार्य समन्तभद्र द्वारा विरचित आप्तमीमांसा
की तत्त्वदीपिका नामक व्याख्या, श्री गणेश वर्णी दि. जैन संस्थान,
वाराणसी-221005. 7. श्री मनोहर जी वर्णी 'सहजानन्द जी' महाराज (1970), आप्तमीमांसा प्रवचन,
सहजानन्द शास्त्रमाला, रणजीतपुरी, सदर, मेरठ. 8. सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री (2010), आचार्य पूज्यपाद विरचित
सर्वार्थसिद्धि, भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्ली-110003, सोलहवाँ संस्करण.
(xxi)