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________________ कारिका का प्रथम चरण अज्ञानाच्चेद्ध्रुवो बन्धो अज्ञानान्मोहिनो बन्धो अद्वैतं न विना द्वैताद् अद्वैतैकान्तपक्षेऽपि अध्यात्मं बहिरप्येष अनन्यतैकान्तेऽणूनां अपेक्षे पृथक्त्वैक् अन्तरङ्गार्थतैकान्ते अन्येष्वनन्यशब्दोऽयं अबुद्धिपूर्वापेक्षाया अभावैकान्तपक्षेऽपि अवक्तव्यचतुष्कोटि अवस्त्वनभिलाप्यं स्यात् अशक्यत्वादवाच्यं किम् अस्तित्वं प्रतिषेध्येना अहेतुकत्वान्नाशस्य आश्रयाऽऽश्रयिभावान्न इतीयमाप्तमीमांसा उपेक्षाफलमाद्यस्य एकत्वेऽन्यतराभावः एकस्यानेकवृत्तिर्न एकानेकविकल्पादा एवं विधिनिषेधाभ्याम् INDEX OF VERSES कारिका अनुक्रमणिका --- ➖➖➖ ➖➖➖ --- ➖➖➖ Verse No. 96 98 222223 27 24 2 67 33 79 44 91 12 46 48 50 17 52 64 114 102 69 62 23 21 Page 149 152 54 47 4 111 61 129 81 142 25 83 86 8888888 36 90 108 175 158 113 105 45 42 189
SR No.007744
Book TitleAptamimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay K Jain
PublisherVikalp Printers
Publication Year2016
Total Pages227
LanguageEnglish, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size6 MB
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