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________________ अनुक्रमणिका... विषय. प्रसंग अंक. आत्माकी संख्या और नामका निषेध....... .... .... ....८०-८२ स्वानुमव कहिके मौनमये शिष्यकी ओर गुरुका देखना. .... ८३ अष्टम विश्रामकी अनुक्रमणिका ८. आत्मज्ञानीकी स्थिति १४१-१७३ ग्रंथकारकी उक्ति..... ...... .... .... .... .... ८४ शिष्यकी परीक्षार्थ प्रश्न (ज्ञानीका अल्प व्यवहार ).... .... ८५ प्रारब्धाधीन ज्ञानीके व्यवहारका अनियम. .... .... .... ८६-८७ ज्ञानीकू कर्तृत्वादिका अमिमान और तामें हेतु.. ...... ज्ञानीकं कर्मका अलेप. .... .... .... .... " योगी ज्ञानीकी निष्ठा. .... .... .... .......... ९१ . विद्वानकू इष्टानिष्टसे हर्षशोकाभाव. .... .... ... .... ९२ शिष्यका सिद्धांत और श्लाघा. .... .... .... .... ९३-९४ समग्र ग्रंथ उक्त अर्थका कथन. .... .... .... ....९५-९६ ग्रंथका अधिकारी और श्लाघा. .... .... . .... .....९७-९८ तत्त्वविचारका महिमा औ ग्रंथकारकी कवियोंसे प्रार्थना. .... ९९-१०० ग्रंथरचनाका हेतु और ग्रंथमहिमा..... .... .... .... १०१-१०२ जिन ग्रंथोंका अर्थ यामें लिया है, तिनके नाम और ग्रंथफल. १०३-१०४ टीकाकारकी उक्ति (टीकाका वर्णन, काल, स्थान.) ..... १०५-१०६ इति श्रीविचारमालाया अनुक्रमणिका. ८८-८९ समाप्ता.
SR No.007743
Book TitleVicharmala Granth Satik Pustak 1 to 8
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnathdas Sadhu, Govinddas Sadhu
PublisherGujarati Chapkhana
Publication Year1832
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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