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चरवलासे या मुहपत्तिसे दाये पैरकी (३ बार) प्रमार्जना करते हुए 'पृथ्वी काय, अप्काय, तेउकायकी जयणा करे,' बोलो।
दायां पैर
१५.
एवं बाये पैरकी (३ बार) प्रमार्जना करतें "वायुकाय, वनस्पतिकाय, त्रसकायनी रक्षा करे' बोलो।
स्त्रीयोंका सिर, हृदय और कंधा, वस्त्रोसे हमेशा ढंके हुए होते है इसलिए श्राविकाओको ९,११,१२, १३ नंबरकी पडिलेहणा नहीं होती है।
बायां पैर