________________
२१०
श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
जो मे अइयारो कओ, तस्स खमासमणो ! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि,
अप्पाणं वोसिरामि (७)
दुसरा वंदन (१-इच्छा निवेदन स्थान)
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए, निसीहिआए (१)
___ (२-अनुपज्ञापन स्थान) अणुजाणह मे मिउग्गह, (२)
निसीहि (गुरुके अवग्रहमें प्रवेश कर रहे हे ऐसा भाव दर्शानेके लिए शरीरको थोडा आगे करे)
अ हो का यं
काय संफासं खमणिज्जो भे ! किलामो ?
(३-शरीरयात्रा पृच्छा स्थान) अप्प किलंताणं ! बहु सुभेण भे !
दिवसो वइक्कंतो (३) R (४- संयमयात्रा पृच्छा स्थान)
ज त्ता भे (४) "\ (५-त्रिकरण सामर्थ्यकी पृच्छा स्थान) ज व णि ज्जं च भे (५)
(६-अपराध क्षमापना स्थान) खामेमि खमासमणो ! देवसिअं वइक्कम (६)
पडिक्कमामि, खमासमणाणं,