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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
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दुसरा वंदन (१-इच्छा निवेदन स्थान)
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए, निसीहिआए (१)
___ (२-अनुपज्ञापन स्थान) अणुजाणह मे मिउग्गह, (२)निसीहि (गुरुके अवग्रहमें प्रवेश कर रहे हे ऐसा भाव दर्शानेके लिए शरीरको थोडा आगे करे)
अ हो का यं
काय संफासं खमणिज्जो भे ! किलामो ?
(३-शरीरयात्रा पृच्छा स्थान) अप्प किलंताणं ! बहु सुभेण भे !
संवच्छरो वइक्कंतो (३) ___(४- संयमयात्रा पृच्छा स्थान) ।
JAN ज त्ता भे (४) AYAN (५-त्रिकरण सामर्थ्यकी पृच्छा स्थान)
ज व णि ज्जं च भे (५)
(६-अपराध क्षमापना स्थान) खामेमि खमासमणो ! संवच्छरीअं वइक्कम (६)
पडिक्कमामि, खमासमणाणं, संवच्छरीआए आसायणाए तित्तीसन्नयराए, जं किंचि मिच्छाए, मण दुक्कडाए, वय दुक्कडाए, काय दुक्कडाए, कोहाए, माणाए, मायाए, लोभाए,
सव्वकालिआए, सव्वमिच्छो वयाराए,